कोहली फ्लॉप, बुमराह बेअसर, जडेजा का जादू गायब, इन वजहों से हारी टीम इंडिया

WTC में पिछले दो साल चैम्पियन की तरह खेलने वाली टीम इंडिया खिताबी मुकाबले में फ्लॉप रही. टीम इंडिया की इस हार के क्या कारण रहे, इसपर नजर डालते हैं.  

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WTC फाइनल में टीम इंडिया को मिली हार (फोटो- पीटीआई) WTC फाइनल में टीम इंडिया को मिली हार (फोटो- पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:06 AM IST
  • टीम इंडिया का WTC की ट्रॉफी जीतने का सपना टूटा
  • फाइनल में चैम्पियन की तरह नहीं खेली टीम इंडिया

न्यूजीलैंड टेस्ट क्रिकेट की पहली वर्ल्ड चैम्पियन बन गई है. उसने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में टीम इंडिया को 8 विकेट से हराकर ये ट्रॉफी अपने नाम की. WTC में पिछले दो साल चैम्पियन की तरह खेलने वाली टीम इंडिया खिताबी मुकाबले में फ्लॉप रही. टीम इंडिया की इस हार के क्या कारण रहे, आइए इसपर नजर डालते हैं.  

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दूसरी पारी में नहीं चले ओपनर्स 

इस महामुकाबले की पहली पारी में तो भारतीय ओपनर्स ने टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई थी. रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने पहले विकेट के लिए अर्धशतकीय साझेदारी की.

रोहित ने 34 और गिल ने 28 रन बनाए. हालांकि क्रीज पर जमने के बाद दोनों ने अपने विकेट गंवा दिए. वह बड़ी पारी खेल सकते थे. दूसरी पारी में टीम इंडिया का पहला विकेट 24 के स्कोर पर ही गिर गया था. गिल 8 रन बनाकर आउट हो गए थे. वहीं, रोहित 30 रन बनाकर पवेलियन लौटे. दोनों के जल्दी आउट होने से दबाव मध्यक्रम पर आया. 

बड़े मैच में नहीं चले अनुभवी बल्लेबाज

फाइनल जैसे अहम मुकाबले में किसी भी टीम को उम्मीद होती है कि उसके अनुभवी बल्लेबाज रन बनाएंगे. टीम इंडिया के पास चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे जैसे स्टार बल्लेबाजों की फौज है. लेकिन ये पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुए. पुजारा मैच की दोनों पारियों में कुछ खास नहीं कर सके. वह पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 15 रन बनाए. 

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कप्तान विराट कोहली पहली पारी में जरूर टच में दिखे थे. उन्होंने 44 रन बनाए. लेकिन दूसरी पारी में उनका बल्ला नहीं चला. वह 13 रन बनाकर काइल जेमिसन का शिकार बने. वहीं, रहाणे ने पहली पारी में 49 रन और दूसरी पारी में 15 रन ही बना सके. ये तीनों बल्लेबाज इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में भी नहीं चले थे. 

गेंद और बल्ले दोनों से कमाल नहीं कर पाए जडेजा

रवींद्र जडेजा से इस मैच में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी. उन्हें दूसरे स्पिनर के तौर पर टीम में शामिल किया गया था. तर्क ये भी दिया गया था कि जडेजा सातवें नंबर पर जरूरी रन बना सकते हैं. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. वह न तो गेंदबाजी में प्रभाव छोड़ सके और न ही बैटिंग में. जडेजा ने पहली पारी में 15 और दूसरी पारी में 16 रन बनाए. उन्होंने मैच में कुल एक विकेट लिए. 

उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे पेसर्स 

इस मुकाबले से पहले भारतीय पेसर्स के बारे में खूब बातें कही गईं. ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह और मो.शमी ने पिछले दो साल में टॉप क्लास की गेंदबाजी की है. इन तीनों से फाइनल मुकाबले में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी. मौसम, पिच सब इनके अनुकूल थी.

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ईशांत शर्मा और मो.शमी पहली पारी में असरदार भी दिखे, लेकिन जसप्रीत बुमराह तो पूरे मैच में विकेट के लिए तरसते रहे. उन्हें एक भी विकेट नहीं मिला. वहीं, शमी ने मैच में चार और ईशांत ने तीन विकेट चटकाए. शमी और ईशांत को भी दूसरी पारी में विकेट नहीं मिला.

पहली पारी में न्यूजीलैंड के अंतिम 3 विकेट ने जोड़े 57 रन 

टीम इंडिया की पुरानी कमजोरी एक बार फिर सामने आई. भारतीय गेंदबाज पुछल्ले बल्लेबाजों को जल्द आउट करने में नाकाम रहे. पहली पारी में एक समय न्यूजीलैंड के 7 विकेट 192 पर उखड़ चुके थे. वह भारत से 25 रन पीछे थी. न्यूजीलैंड के आखिरी तीन विकेट ने 57 रन जोड़े. इसमें टिम साउदी और केन विलियमसन के बीच आठवें विकेट के लिए 29 रनों की साझेदारी अहम रही.

इसके बाद 9वें विकेट के लिए टीम साउदी और नील वैगनर ने 13 और 10वें विकेट के लिए साउदी और बोल्ट के बीच 15 रनों की पार्टनरशिप हुई. ये साझेदारियां भले ही छोटी रहीं, लेकिन महत्वपूर्ण रहीं. 192 रन पर 7 विकेट लेने के बाद टीम इंडिया के पास न्यूजीलैंड को 200 रनों के अंदर समेटने का मौका था. वह 15-20 रनों की लीड भी ले सकती थी. लेकिन हुआ ठीक उल्टा. आखिरी तीन विकेट ने जो 57 रन जोड़े थे उसकी बदौलत न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया पर 32 रनों की बढ़त ले ली. 

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