इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2026 के खिलाड़ियों की मिनी नीलामी 16 दिसंबर (मंगलवार) को अबू धाबी में होनी है. मिनी ऑक्शन से पहले एक ऐसे नियम की खूब चर्चा हो रही है, जिसकी जद में विदेशी खिलाड़ी आ रहे हैं. आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के नियमों के मुताबिक मिनी ऑक्शन में कोई भी विदेशी खिलाड़ी अधिकतम 18 करोड़ रुपये ही कमा सकता है, भले ही फ्रेंचाइजी टीम उस पर इससे ज्यादा की ही बोली क्यों न लगा दे.
यानी बोली 18 करोड़ से ऊपर जाने के बावजूद विदेशी खिलाड़ी को उतनी ही रकम मिलेगी. यह नियम आईपीएल 2025 के लिए हुई मेगा नीलमी में पहली बार लागू किया गया था. अब इसे मिनी ऑक्शन में भी लागू कर दिया गया है. इसका मकसद वित्तीय अनुशासन बनाए रखना और मिनी ऑक्शन में होने वाली अत्यधिक महंगी बोलियों पर लगाम लगाना है.
मान लीजिए कि ऑस्ट्रेलिया के स्टार ऑलराउंडर कैमरन ग्रीन पर 30 करोड़ रुपये की बोली लगती है, लेकिन उनकी आईपीएल सैलरी सिर्फ 18 करोड़ रुपये होगी. बचे हुए 12 करोड़ रुपये भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) के प्लेयर्स वेलफेयर फंड में जाएंगे. हालांकि लेकिन फ्रेंचाइजी टीम को पूरी 30 करोड़ रुपये की रकम अपने पर्स से चुकानी होगी.
केकेआर के पास सबसे बड़ा पर्स
मिनी ऑक्शन के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) के पास पर्स में सबसे ज्यादा 64.3 करोड़ रुपये हैं. वहीं पांच बार की चैम्पियन टीम चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के पास पर्स में 43.6 करोड़ रुपये मौजूद हैं. दोनों टीमों के पास पर्स में काफी रुपये बचे हैं, इसके बावजूद विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी 18 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होगी.
यह नियम सिर्फ विदेशी खिलाड़ियों के लिए है और भारतीय खिलाड़ी पूरी बोली की रकम पाने के हकदार होंगे, चाहे वह 18 करोड़ से ज्यादा ही क्यों न हो.
आईपीएल 2025 के लिए हुई मेगा नीलामी में ऋषभ पंत सबसे महंगे खिलाड़ी रहे थे. पंत को लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) ने 27 करोड़ रुपये में खरीदा था और उन्हें पूरी सैलरी मिली थी. पंत आईपीएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं.
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