IND vs SA Test: ईडन गार्डन्स बनेगा रिवर्स स्विंग का अखाड़ा? गिल ने पिच परखी, गंभीर ने रची रणनीति

कोलकाता के ईडन गार्डन्स में 14 नवंबर से भारत और साउथ अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट खेला जाएगा. छह साल बाद लौट रहे इस मैदान पर इस बार ‘रिवर्स स्विंग’ अहम भूमिका निभाने वाली है. काली मिट्टी की यह पिच अच्छी उछाल देगी, लेकिन मैच के बीच तक आते-आते धीमी पड़ सकती है. सतह से लगभग सारी घास हटा दी गई है, जिससे तेज गेंदबाजों को पुरानी गेंद से मदद मिलने की उम्मीद है.

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गिल की कप्तानी की बड़ी परीक्षा. (Photo, PTI) गिल की कप्तानी की बड़ी परीक्षा. (Photo, PTI)

aajtak.in

  • कोलकाता,
  • 11 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

छह साल बाद ईडन गार्डन्स एक बार फिर टेस्ट क्रिकेट का गवाह बनने जा रहा है. 14 नवंबर से भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पहला टेस्ट यहीं खेला जाएगा. इस बार मुकाबला सिर्फ बल्ले और गेंद का नहीं, बल्कि ‘काली मिट्टी’, रिवर्स स्विंग और ठंडी हवाओं’ का भी होगा.

माना जा रहा है कि ईडन की यह काली मिट्टी वाली पिच अच्छी उछाल देगी, लेकिन मैच के बीच तक आते-आते इसकी रफ्तार कम पड़ सकती है. कुछ ही दिन पहले ही सतह से लगभग सारी ‘लाइव ग्रास’ हटा दी गई है और मैच शुरू होने तक सिर्फ 1-2 मिलीमीटर घास बचे रहने की उम्मीद है. इसका सीधा मतलब- तेज गेंदबाजों के लिए रिवर्स स्विंग होगा असली हथियार.

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यह ईडन की सतह दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम जैसी ‘सुप्त’ पिच नहीं होगी, जहां भारत ने वेस्टइंडीज को पांचवें दिन 7 विकेट से हराया था. यहां विकेट में जान होगी और बॉल के पुराना होते ही यह तेज गेंदबाजों के लिए जाल बुनने का मौका बनेगी.

ठंडी सुबहें और शाम की ओस देंगे स्विंग को धार

एक और कारक जो तेज गेंदबाजों के पक्ष में जा सकता है, वह है सुबह और शाम का ठंडा मौसम. पहले घंटे की नमी और आखिरी सेशन की ठंडी हवा गेंद को हवा में हलचल दे सकती है, जिससे लेटरल मूवमेंट बढ़ेगा. इन परिस्थितियों में टॉस का असर उतना निर्णायक नहीं रहेगा, क्योंकि हालात पूरे दिन गेंदबाजों को मदद दे सकते हैं.

ईडन का आउटफील्ड भले ही सबसे तेज माने जाने वाले में है, काली मिट्टी के कारण गेंद बिजली की रफ्तार से बाउंड्री तक जाती है... लेकिन जैसे-जैसे टेस्ट आगे बढ़ेगा, पिच धीमी होती जाएगी और बल्लेबाजों की असली परीक्षा वहीं से शुरू होगी.

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गिल का लंबा नेट सेशन, गंभीर का क्लासरूम जैसा सेशन

मंगलवार को कप्तान शुभमन गिल ने नेट्स पर करीब डेढ़ घंटे तक बल्लेबाजी की. सफेद गेंद में खराब फॉर्म के बाद अब उनका पूरा ध्यान लाल गेंद की लय पर है. अभ्यास से पहले गौतम गंभीर और सितांशु कोटक ने उनके साथ लंबी चर्चा की.

गिल ने शुरुआत रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की स्पिन से की, फिर जसप्रीत बुमराह, नीतीश रेड्डी और स्थानीय गेंदबाजों को फेस किया. मॉर्ने मॉर्केल ने खुद भी बॉलिंग की. तेज उछाल और सीम मूवमेंट के साथ गिल को परखा. उसके बाद उन्होंने सेंट्रल विकेट पर 30 मिनट तक थ्रोडाउन लिए.

यशस्वी जायसवाल ने भी रणजी में धमाकेदार फॉर्म (67 और 156) के बाद सेंट्रल विकेट पर लंबा सत्र खेला. उनके स्ट्रोक पुराने आत्मविश्वास का सबूत दे रहे थे.

तीसरे नंबर पर साई की परीक्षा, जुरेल-पंत की जोड़ी चर्चा में

साई सुदर्शन ने भी नेट्स में लंबा सत्र खेला. इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में अर्धशतक जरूर हैं, लेकिन तीसरे नंबर की जगह अभी भी पक्की नहीं. टीम मैनेजमेंट फिलहाल उन पर भरोसा बनाए हुए है.

इधर, ध्रुव जुरेल और ऋषभ पंत को लेकर दिलचस्प समीकरण बन रहा है. पंत विकेटकीपिंग में लौट सकते हैं, जबकि जुरेल को बतौर बल्लेबाज मौका मिल सकता है. जुरेल ने भारत-ए के लिए दक्षिण अफ्रीका-ए के खिलाफ दो शतक जमाकर जोरदार दावा ठोका है.

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गंभीर-मॉर्केल की पिच मीटिंग और सतह की चिंता

तीन घंटे के अभ्यास के बाद गंभीर, मॉर्ने मॉर्केल, कोटक और गिल ने पिच का निरीक्षण किया. क्यूरेटर सुजन मुखर्जी के साथ करीब 15 मिनट की चर्चा हुई. चेहरों से लगा कि टीम प्रबंधन पूरी तरह संतुष्ट नहीं. सतह भूरी थी, घास बेहद हल्की थी.

साफ है कि ईडन की यह पिच न तो दिल्ली जैसी ‘नींद में डूबी’ होगी, न ही रांची जैसी टूटी-फूटी. यहां हर ओवर में कहानी बदलेगी- कभी बॉल फिसलेगी, कभी मुड़ेगी, कभी रिवर्स होगी. यानी, यह टेस्ट सिर्फ बल्लेबाजो की नहीं, ‘बुद्धि, बाउंस और बॉल की चाल’ की असली परीक्षा होगी.

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