भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका को 52 रनों से मात देकर महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 पर कब्जा जमाया. रविवार (2 नवंबर) को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी में हुए मैच में भारत ने साउथ अफ्रीका को 299 रनों का टारगेट दिया था, जो काफी साबित हुआ. साउथ अफ्रीकी टीम 45.3 ओवरों में 246 रनों पर सिमट गई. भारतीय महिला टीम ने पहली बार वर्ल्ड कप जीता है. वहीं साउथ अफ्रीका का खिताब जीतने का सपना इस बार पूरा नहीं हो सका.
खिताबी मुकाबले में भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर का एक फैसलाल ऐतिहासिक जीत की बुनियाद रच गया. हरमन ने मैच के अहम मोड़ पर पार्टटाइम स्पिनर शेफाली वर्मा को गेंद थमाई. दरअसल, रनचेज में साउथ अफ्रीका का जब दूसरा विकेट 62 रनों के स्कोर पर गिरा, तो इसके बाद कप्तान लॉरा वोलवार्ट और सुने लुस के बीच तीसरे विकेट के लिए 52 रनों की पार्टनरशिप हुई.
इस साझेदारी ने भारतीय टीम की टेंशन बढ़ा दी थी. इस साझेदारी को ब्रेक करने के लिए ही शेफाली को 20वें ओवर की समाप्ति के बाद गेंदबाजी मोर्चे पर लगाया गया. शेफाली ने अपनी ही दूसरी ही गेंद पर सुने लुस को कॉट एंड बोल्ड आउट कर दिया. वहीं अपने अगले ओवर की पहली बॉल पर उन्होंने मारिजाने कैप को भी पवेलियन रवाना कर दिया. इन दो विकेटों ने फाइनल में साउथ अफ्रीका का मोमेंटम तोड़ दिया.
हरमनप्रीत ने क्यों कराई शेफाली से गेंदबाजी?
भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर मैच के बाद बताया कि शेफाली वर्मा को गेंदबाजी देने का फैसला उन्होंने अंदरूनी अहसास के आधार पर लिया. हरमनप्रीत ने कहा कि उनका दिल कह रहा था कि आज शेफाली का दिन है. हरमन कहती हैं, 'मेर दिल कह रहा था कि शेफाली को एक ओवर देना चाहिए. जब मैंने शेफाली से पूछा कि क्या वो तैयार है, तो उसने तुरंत हां में जवाब दिया. वो हमेशा गेंद से टीम के लिए योगदान देना चाहती थी और उसी एक ओवर ने मैच का रुख बदल दिया.'
हरमनप्रीत कौर ने यह भी बताया कि जब शेफाली वर्मा ने टीम जॉइन किया था, तब उनसे कहा गया था कि शायद उन्हें 2–3 ओवर फेंकने पड़ें. तब शेफाली ने जवाब दिया था, 'अगर आप मुझे गेंद देंगे, तो मैं टीम के लिए 10 ओवर भी डाल दूंगी.' हरमन ने कहा कि शेफाली की यह निडरता और टीम के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा ही था, जिसने उन्हें यह मौका देने के लिए प्रेरित किया और वह दांव पूरी तरह सफल रहा. भारत की जीत में शेफाली के ओवर और हरमन का ये फैसला दोनों ही हमेशा याद रखे जाएंगे क्योंकि इन्हीं ने वर्ल्ड कप फाइनल की कहानी पलट दी.
शेफाली वर्मा ने खिताबी मुकाबले में 7 ओवरों की गेंदबाजी की, जिसमें उन्होंने 36 रन देकर 2 विकेट चटकाए. सलामी बल्लेबाज शेफाली ने इस मैच में बल्ले से भी कमाल का प्रदर्शन करते हुए 78 गेंदों पर 87 रन बनाए, जिसमें 7 चौके और दो छक्के शामिल रहे. शेफाली 'प्लेयर ऑफ द मैच' चुनी गईं. शेफाली वर्ल्ड कप स्क्वॉड का हिस्सा नहीं थीं, लेकिन प्रतीका रावल के चोटिल होकर बाहर होने के बाद उन्हें नॉकआउट मैचों के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था.
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