क्रिस केर्न्स की हालत में सुधार, लाइफ सपोर्ट सिस्टम से बाहर आए

न्यूजीलैंड के पूर्व ऑलराउंडर क्रिस केर्न्स लाइफ सपोर्ट सिस्टम से बाहर आ गए हैं. उनके दिल का ऑपरेशन सफल रहा, जिसके बाद उन्हें जीवनरक्षक प्रणाली से हटा लिया गया.

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Chris Cairns Chris Cairns

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST
  • क्रिस केर्न्स लाइफ सपोर्ट सिस्टम से बाहर आए
  • परिवार के लोगों से बात कर पा रहे हैं केर्न्स

न्यूजीलैंड के पूर्व ऑलराउंडर क्रिस केर्न्स लाइफ सपोर्ट सिस्टम से बाहर आ गए हैं. उनके दिल का ऑपरेशन सफल रहा, जिसके बाद उन्हें जीवनरक्षक प्रणाली से हटा लिया गया. 

क्रिस केर्न्स के परिवार के प्रवक्ता ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. वहीं, केर्न्स के वकील आरोन लॉयड ने कहा कि यह जानकारी देते हुए मुझे खुशी हो रही है कि केर्न्स सिडनी में लाइफ सपॉर्ट से बाहर आ गए हैं और अपने परिवार से बात कर पा रहे हैं. 

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आरोन लॉयड ने आगे कहा कि वह और उनका परिवार दुआओं और उनकी निजता कायम रखने के लिए शुक्रगुजार है. उन्होंने अनुरोध किया है कि इसे आगे भी जारी रखा जाएगा. 

केर्न्स को ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में गंभीर चिकित्सा आपात स्थिति ओरटिक डिसेक्सन का सामना करना पड़ा था. ओरटिक डिसेक्सन एक गंभीर स्थिति है. जिसमें शरीर की मुख्य धमनी की भीतरी परत को नुकसान पहुंचता है. कथित तौर पर अस्पताल में उनके कई ऑपरेशन हुए थे, लेकिन उनका शरीर उपचार पर उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं दे रहा था. 

भ्रष्टाचार के आरोपों से लड़ने का उनके जीवन पर असर पड़ा

अपने समय में सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में से एक केर्न्स ने न्यूजीलैंड के लिए 1989 से 2006 के बीच 62 टेस्ट, 215 वनडे अंतरराष्ट्रीय और दो टी20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले. उनके पिता लांस केर्न्स ने भी न्यूजीलैंड का प्रतिनिधित्व किया.

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2008 में अब भंग हो चुकी इंडियन क्रिकेट लीग में खेलने के दौरान मैच फिक्सिंग के आरोपों का सामना करने वाले 51 साल के केर्न्स ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए कई कानूनी लड़ाइयां लड़ीं. उन्होंने इस दौरान 2012 में इंडियन प्रीमियर लीग के ललित मोदी के खिलाफ मानहानि का मामला भी जीता.

उन्हें साथी क्रिकेटरों लू विन्सेंट और ब्रैंडन मैक्कुलम से दोबारा फिक्सिंग के आरोपों का सामना करना पड़ा, लेकिन 2015 में लंदन में लंबी सुनवाई के बाद उन्हें झूठी गवाही देने और न्याय प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के आरोपों से बरी कर दिया गया.

भ्रष्टाचार के आरोपों से लड़ने का उनके जीवन पर भी असर पड़ा और एक समय उन्हें कानूनी फीस चुकाने के लिए ऑकलैंड परिषद में ट्रक चलाने और बस अड्डे में सफाई करने का काम भी करना पड़ा.

 

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