ENG vs IND: एजबेस्टन बना शोले का रामगढ़... जहां 'जय-वीरू' की जोड़ी ने अंग्रेजों को रगड़ा, 'प्लेयर ऑफ द मैच' आकाश क्यों नहीं?

इंग्लैंड और भारत के बीच एजबेस्टन का रामगढ़ एक ऐसा मैदान बना, जहां आकाश दीप और सिराज ने जय-वीरू की तरह दमदार खेल दिखाया. उन्होंने इंग्लैंड की बैजबॉल टीम को अपनी हिम्मत, जुनून और जोश से दबा दिया...

Advertisement
 Edgbaston: Akash Deep picked match-winning 10-wicket haul.(Getty) Edgbaston: Akash Deep picked match-winning 10-wicket haul.(Getty)

संदीपन शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST

बॉलीवुड की मशहूर फिल्म 'शोले' में जब कालिया और उसके दो साथी रामगढ़ पर धावा बोलते हैं तो ठाकुर बलदेव सिंह उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हुए वहां से चले जाने को कहते हैं. घमंडी डाकू पूछते हैं कि उन्हें गांववालों से जबरन वसूली करने से कौन रोकेगा, तो ठाकुर- जय और वीरू की ओर इशारा करते हैं.

'बस दो,' कालिया हंसते हुए कहता है.

Advertisement

'तुम्हारे लिए ये काफी हैं,' ठाकुर दांत पीसते हुए जवाब देते हैं.

यह प्रसिद्ध संवाद भारत की जुलाई 2025 में एजबेस्टन में 336 रनों की ऐतिहासिक जीत के साथ गहरा तालमेल रखता है, जहां भारतीय क्रिकेट टीम ने एक जबरदस्त चुनौती का सामना किया, जैसे कि गब्बर सिंह और उसके लोगों को उसकी ही मांद में रोकना.

जुलाई 2025 में एजबेस्टन क्रिकेट का रामगढ़ बन गया था (गब्बर का मैदान), जहां भारत 8 टेस्ट मैचों में कभी नहीं जीत पाया था. वहां की सपाट पिच इतनी मरी हुई और निष्क्रिय थी जैसे डाकुओं के सामने गांव वाले आत्मसमर्पण करने को तैयार हों.  

वो पिच, जिसमें न घास थी और न ही सीम मूवमेंट, रन लूटने के लिए एकदम सही हालात पेश कर रही थी.

इंग्लैंड के बैजबॉलर- बेन डकेट, जो रूट, ओली पोप, हैरी ब्रुक, बेन स्टोक्स और जेमी स्मिथ... कालिया के साथियों की तरह अकड़कर भारत की थकी-मांदी गेंदबाजी लाइन-अप हमला करने के लिए तैयार थे. भारत के प्रमुख तेज गेंदबाज बुमराह के बिना एक बड़ा सवाल सामने था- इन लुटेरों को रोकेगा कौन? शोले की तरह जवाब साफ था- 'बस दो.. आकाश और सिराज ही काफी थे.'

Advertisement

बहुत कम मदद के बावजूद, इन दोनों ऐसे जादू दिखाए जहां उम्मीद भी नहीं थी. जय की तरह आकाश दीप ने बहुत सटीक गेंदबाजी आक्रमण का नेतृत्व किया, जबकि वीरू की याद दिलाने वाले आक्रामक मोहम्मद सिराज ने अपने आक्रामक अंदाज से उनका साथ दिया. दोनों ने मिलकर इंग्लैंड के 20 में से 17 विकेट चटकाए और अंग्रेजों को उनके ही गढ़ में धूल चटा दी.

शोले में वीरू की जोरदार हिम्मत की तरह सिराज ने अपनी तेज गति और जुबानी जंग से 7 विकेट चटकाए, जिनमें जैक क्रॉली और बेन स्टोक्स जैसे अहम बल्लेबाज़ भी शामिल थे..इंग्लैंड को पहली पारी में पीछे धकेल दिया.

आकाश दीप और मोहम्मद सिराज- तेज आक्रमण के नायक (Getty) 

... लेकिन आकाश दीप (10/187) के पहली पारी में 4/88 और दूसरी पारी में 6/99 के प्रदर्शन ने मैच का रुख पलट दिया और साबित कर दिया कि वह भारत की जीत के मुख्य आधार थे. उन्होंने इंग्लैंड के शीर्ष क्रम के 7 बल्लेबाजों को अपनी तेज और सटीक गेंदबाजी से आउट किया, जिनमें 4 बार बल्लेबाज सीधे बोल्ड हुए. चौथे दिन उन्होंने डकेट और रूट को आउट करके इंग्लैंड की जीत की उम्मीद खत्म कर दी. पांचवें दिन पोप और ब्रुक को जल्दी आउट करके इंग्लैंड की ड्रॉ की उम्मीद भी खत्म कर दी.

Advertisement

बिना काउंटी क्रिकेट खेले इंग्लैंड में अपना पहला टेस्ट खेलते हुए वह जल्दी ही नई परिस्थितियों के अनुसार ढल गए और कम से कम सीम मूवमेंट का भी पूरी सटीकता से फायदा उठाया. उसने 254 गेंदों में 61 बार बल्लेबाजों को गलत शॉट खेलने पर मजबूर किया- यानी हर 4.2 गेंद पर एक बार, जबकि मैच का एवरेज 6.6 गेंद था...इससे यह साबित हुआ कि वह ऐसे मौके बनाने में माहिर हैं जहां कोई मौका ही नहीं था.

उनकी शानदार गेंदबाजी और भी खास बन जाती है, जब हम उस दबाव को समझें- जिसका वह सामना कर रहे थे. जसप्रीत बुमराह की जगह टीम में शामिल होना अपने आप में बड़ी जिम्मेदारी थी. उनसे बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं, लेकिन एजबेस्टन में भारत के पिछले खराब रिकॉर्ड का बोझ जरूर था. कई आलोचकों ने बुमराह को आराम देने के फैसले पर सवाल उठाए, लेकिन उन्होंने अपने प्रदर्शन से सबका मुंह बंद कर दिया. 

आंकड़ों से आगे भी, आकाश दीप का प्रदर्शन उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत खास था. मैच के बाद उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बहन कैंसर से जूझ रही हैं. उन्होंने यह शानदार प्रदर्शन अपनी बहन को समर्पित किया.

उन्होंने कहा, 'हर गेंद फेंकते समय मेरी बहन का चेहरा मेरे सामने था'. यही सोच उन्हें हर पल आगे बढ़ने की ताकत देती रही.

Advertisement

व्यक्तिगत दुख और बुमराह जैसे खिलाड़ी की गैरमौजूदगी में टीम की अगुवाई करने की चुनौती, इन दोनों ने मिलकर उनके प्रयास को क्रिकेट की उत्कृष्टता से कहीं ऊपर उठा दिया.

शुभमन गिल के 430 (269 & 161) रनों की बदौलत भारत ने 587 रनों का विशाल स्कोर और 608 रनों का लक्ष्य रखा, लेकिन मैच का नतीजा इंग्लैंड को ऑल आउट करने पर टिका था. शांत पिच पर गिल के रन बेहद अहम थे, लेकिन ये तब आए जब गेंद अपनी चमक खो चुकी थी, धूप खिली हुई थी, और इंग्लैंड की गेंदबाजी- जो पहले ही रिटायरमेंट और चोटों की वजह से कमजोर हो चुकी थी, थकी हुई थी.

इंग्लैंड ने पहली पारी में 407 रन बनाए. हालात आसान थे, लेकिन फिर भी यह दिखाता है कि वे भारत की मजबूत बल्लेबाजी का सामना कर सकते हैं. पर दूसरी पारी में आकाश दीप ने विकेट निकाली और सिराज ने भी जोशीली गेंदबाजी की, जिससे इंग्लैंड सिर्फ 271 रनों पर सिमट गया. आकाश दीप के इस प्रदर्शन ने खेल का रुख बदल दिया. इससे ये साबित हुआ कि आज के क्रिकेट में जहां ज्यादातर ध्यान बल्लेबाजों पर होता है, वहीं गेंदबाज भी असली हीरो बन सकते हैं.

एजबेस्टन जीत का जश्न मनाते आकाश दीप. (AFP) 

मैच के असली हीरो आकाश दीप

Advertisement

जुलाई 2025 के एजबेस्टन टेस्ट के असली हीरो आकाश दीप थे... इसलिए नहीं कि उन्होंने दूसरों को पीछे छोड़ा, बल्कि इसलिए कि उसने सबसे ज्यादा संघर्ष किया.

उनकी लगातार सधी हुई गेंदबाजी, भावनाओं पर काबू रखने की ताकत, और निजी व पेशेवर मुश्किलों से ऊपर उठकर खेलने की क्षमता यह दिखाती है कि वह सच में 'प्लेयर ऑफ द मैच' कहलाने का हकदार हैं.

हालांकि आकाश दीप को 'प्लेयर ऑफ द' मैच का पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन एजबेस्टन में उनकी वीरता क्रिकेट की दुनिया में गूंजती रहेगी, ठीक वैसे ही- जैसे शोले में जय की खामोश वीरता.

भारत की जीत पर आकाश दीप की छाप हमेशा रहेगी. रामगढ़ की धूल हो या एजबेस्टन की हरियाली, आकाश दीप जैसे नायक हमें याद दिलाते हैं कि कभी-कभी दो ही काफी होते हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement