1957 में पंडित नेहरू और जनरल थिमैया की मुलाकात का दिलचस्प किस्सा, जब सेना प्रमुख ने मजाक में तीसरी दराज को सरकार के तख्तापलट की योजना बताया. ये घटना राजनीति और सेना के रिश्तों की जटिलता को उजागर करती है.