भगत सिंह, राजगुरु और इशफाक उल्लाह खान जैसे महान क्रांतिकारियों ने वंदे मातरम का नारा लगाते हुए अपनी खुशी से फांसी स्वीकार की. उन्होंने देश में आज़ादी की लौ को दोबारा जगाया और यह समझा कि मातृभूमि की रक्षा अब उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है.