उत्तराखंड में आपदा की चेतावनी! बड़े खतरे का संकेत दे रही पिघलते ग्लेशियरों से बनी झीलें

उत्तराखंड के ग्लेशियरों के पिघलने से कई नई झीलें बन रही हैं, जिनमें से कुछ की वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनमें से कुछ झीलें बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं. भागीरथी कैचमेंट में स्थित खतलिंग ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के कारण भिलंगना झील का आकार बढ़ रहा है. पिछले 47 सालों में भिलंगना झील का क्षेत्रफल 0.38 स्क्वायर किलोमीटर बढ़ा है, जो 4750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

Advertisement
उत्तराखंड में ग्लेशियर पिघलने से बन रही झीलें बड़ा खतरा बन रही हैं (फाइल फोटो) उत्तराखंड में ग्लेशियर पिघलने से बन रही झीलें बड़ा खतरा बन रही हैं (फाइल फोटो)

अंकित शर्मा

  • देहरादून,
  • 29 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:38 AM IST

ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रभावों का सामना पूरी दुनिया कर रही है और इसका सीधा असर हिमालय के ग्लेशियरों पर भी दिख रहा है. ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे न केवल भविष्य में पानी का संकट बढ़ सकता है, बल्कि पिघलते ग्लेशियरों से बनने वाली झीलें भी बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं. 

वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तराखंड में पांच झीलें चिह्नित की गई हैं, जिनमें से दो विशेष रूप से संवेदनशील हैं. इन झीलों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है, क्योंकि अगर ये झीलें कभी फटीं, तो इनके रास्ते में आने वाले गांव और परियोजनाएं तबाह हो सकती हैं, और कई लोगों की जान भी जा सकती है. वैज्ञानिक सैटेलाइट की मदद से इन झीलों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और उत्तराखंड प्रशासन भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखा रहा है.

Advertisement

वैज्ञानिकों का जारी है अध्ययन

उत्तराखंड के ग्लेशियरों के पिघलने से कई नई झीलें बन रही हैं, जिनमें से कुछ की वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनमें से कुछ झीलें बड़े खतरे का संकेत दे रही हैं. भागीरथी कैचमेंट में स्थित खतलिंग ग्लेशियर के तेजी से पिघलने के कारण भिलंगना झील का आकार बढ़ रहा है. पिछले 47 सालों में भिलंगना झील का क्षेत्रफल 0.38 स्क्वायर किलोमीटर बढ़ा है, जो 4750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. सैटेलाइट से इस झील का एरिया पता चला है, लेकिन इसकी गहराई और उसमें जमा पानी की मात्रा का कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. यह झील मोरिन डैम लेक है, जो लूज डेपरि मटेरियल से बनी हुई है, इसलिए इसकी मॉनिटरिंग आवश्यक है.

वसुधरा और भागीरथी झीलों की निगरानी

Advertisement

उत्तराखंड की वसुधरा झील और भागीरथी झील समेत अन्य तीन झीलों पर भी मॉनिटरिंग बढ़ा दी गई है. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जल्द ही वसुधरा झील की मॉनिटरिंग के लिए ITBP, NDRF, GSI, NIH सहित विभिन्न वैज्ञानिकों की एक टीम भेजी जाएगी, जो वहां पहुंचकर झील की वर्तमान स्थिति का अध्ययन करेगी. अगर झील से खतरा महसूस हुआ तो झील को पंचर कर धीरे-धीरे पानी निकालने का काम किया जाएगा, ताकि किसी बड़े हादसे से बचा जा सके. इसके अलावा, पिथौरागढ़ में भी तीन हाई-रिस्क झीलें चिन्हित की गई हैं. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा के अनुसार, इन झीलों की स्थिति को देखते हुए डिस्चार्ज क्लिप पाइप्स लगाए जाएंगे, जिनकी मदद से झीलों का पानी धीरे-धीरे निकाला जा सकेगा.

सतर्कता और उपाय 

उत्तराखंड में इन संवेदनशील झीलों की लगातार निगरानी की जा रही है और वैज्ञानिक एवं प्रशासन मिलकर किसी भी संभावित आपदा से निपटने के उपाय कर रहे हैं. यह कदम न केवल क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले संभावित नुकसान को भी कम करने में मदद करेगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement