हमारा दिमाग पूरी उम्र में 4 बार बड़ा बदलाव करता है... जानिए किस उम्र में आता है गोल्डन पीरियड

हमारा दिमाग जिंदगी में सिर्फ 4 बार बड़ा बदलाव करता है. ये बदलाव दिमाग की वायरिंग में आते हैं. 9 साल में सीखना तेज होता है. 32 में दिमाग पीक पर होता है. 66 में समझदारी बढ़ती है. 83 में कमजोर पड़ता है. रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है.

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बचपन से बुढ़ापे तक दिमाग चार बड़े बदलाव करता है. साइंटिस्ट इसे प्रूव कर चुके हैं. (Photo: Representational/Getty) बचपन से बुढ़ापे तक दिमाग चार बड़े बदलाव करता है. साइंटिस्ट इसे प्रूव कर चुके हैं. (Photo: Representational/Getty)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 0 से 90 साल तक के 3,800 लोगों के दिमाग के MRI स्कैन देखे. पता चला कि हमारा दिमाग जिंदगी में सिर्फ चार बार अचानक बहुत बड़ा बदलाव करता है. बाकी समय तो धीरे-धीरे बदलता रहता है. ये चार खास उम्रें हैं: 9 साल, 32 साल, 66 साल और 83 साल.

दिमाग की वायरिंग होती क्या है?

दिमाग में 86 अरब छोटी कोशिकाएं (न्यूरॉन) होती हैं. ये एक-दूसरे से सफेद रंग की पतले तारों (white matter) से जुड़ी रहती हैं. जैसे घर में बिजली की तारें होती हैं. जितनी अच्छी और तेज तारें होंगी, उतना ही तेज दिमाग चलेगा – याददाश्त अच्छी रहेगी, नई चीजें जल्दी सीखेंगे.

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पहला बड़ा बदलाव – 9 साल की उम्र

बचपन खत्म होने वाला होता है. दिमाग की तारें बहुत तेजी से बनती और मजबूत होती हैं. इस उम्र में जो कुछ सीखा (भाषा, गणित, संगीत, खेल) वो जिंदगी भर नहीं भूलता. इसलिए 5-10 साल को गोल्डन पीरियड कहते हैं.

दूसरा और सबसे शानदार बदलाव – 32 साल की उम्र

इस उम्र में दिमाग बिल्कुल पीक पर होता है. सारी तारें एकदम परफेक्ट जुड़ी होती हैं. याददाश्त, एकाग्रता, नई स्किल सीखना – सब सबसे तेज चलता है. यही वजह है कि ज्यादातर बड़े साइंटिस्ट, खिलाड़ी, लेखक और बिजनेसमैन 30-35 की उम्र में अपना सबसे बेहतरीन काम करते हैं.

तीसरा बदलाव – 66 साल की उम्र

अब दिमाग की तारें धीरे-धीरे पतली होने लगती हैं. नई चीजें सीखना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन पुरानी यादें और जीवन का अनुभव सबसे मजबूत होता है. इस उम्र में लोग सबसे समझदार और सही फैसले लेने वाले होते हैं.

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चौथा और आखिरी बदलाव – 83 साल की उम्र

अब तारें काफी कमजोर हो जाती हैं. याददाश्त कम होने लगती है. अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन जो लोग पूरी जिंदगी किताब पढ़ते, पहेलियां खेलते, टहलते और नई चीजें सीखते रहते हैं, उनका दिमाग 90-95 साल तक भी तेज रहता है.

हम क्या कर सकते हैं?

  • 9 साल तक के बच्चों को ढेर सारी चीजें सिखाएं. 
  • 20-40 साल में नई भाषा, स्किल, शौक सीखते रहें.
  • 50 के बाद भी किताब, सुडोकू, टहलना कभी न छोड़ें.
  • अच्छी नींद, सही खाना और थोड़ा व्यायाम दिमाग को हमेशा जवान रखता है.

चाहे आपकी उम्र कोई भी हो – आपका दिमाग अब भी सीखने और बदलने को तैयार है. बस उसे थोड़ा प्यार और मौका देते रहिए. 

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