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साइंस न्यूज़

Indonesia: जंगल काटने का अंजाम! प्रकृति ने लिया ऐसा बदला, कई गांव साफ, 836 मौतें

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST
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नवंबर के आखिरी हफ्ते में जब साइक्लोन सेन्यार मलक्का जलडमरूमध्य की तरफ मुड़ा तो किसी को नहीं पता था कि यह इतनी भयानक तबाही मचाएगा. Photo: AP

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इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर लगातार तीन दिन तक बारिश हुई. एक ही दिन में 16 इंच (40 सेमी) तक पानी बरसा. नतीजा – पूरे के पूरे गांव रातों-रात गायब हो गए. Photo: AP

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836 लोग मारे गए. 518 अभी भी लापता हैं. 2700 घायल हैं. लाखों लोग बेघर हो गए. लेकिन सबसे डरावनी बात यह थी कि पानी के साथ-साथ हजारों-लाखों लकड़ियों के लट्ठे बहकर आए और घरों को तोड़ते हुए चले गए. जैसे कोई विशाल लकड़ी का हथौड़ा चल रहा हो. Photo: AP

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उत्तर सुमात्रा के तुक्का जिले में बचाव कार्य कर रहे स्वयंसेवक सर्मा हुताजुलु ने बताया कि सड़क के दोनों तरफ सिर्फ लकड़ियां ही लकड़ियां दिखती हैं. ये ही लोगों के घरों में घुसकर सब कुछ तोड़ती गईं. Photo: AP

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वैज्ञानिक बताते हैं कि असली वजह है जंगलों की बेतहाशा कटाई. जंगल क्यों हैं हमारी सुरक्षा कवच? क्योंकि इनकी जड़ें पानी सोखती हैं. एक बड़ा पेड़ एक दिन में 500-1000 लीटर पानी सोख सकता है. Photo: AP

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जंगल होते तो बारिश का 30-40% पानी वहीं रुक जाता. जंगल मिट्टी को बांधे रखते हैं. पेड़ों की जड़ें मिट्टी को जकड़ती हैं. जब जंगल कट जाते हैं, ढलान वाली जगहों पर भूस्खलन 10 गुना ज्यादा हो जाता है. Photo: AP

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इस बार की तबाही सिर्फ बारिश और साइक्लोन की नहीं थी – यह 30 साल से चल रही जंगल कटाई का बदला था. सुमात्रा एक समय दुनिया के सबसे घने उष्णकटिबंधीय जंगलों का घर था. आज वहां सिर्फ खाली पहाड़ और पाम ऑयल के खेत दिखते हैं. Photo: AP

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सुमात्रा में पिछले 20 सालों में 35% से ज्यादा जंगल कट चुके हैं – ज्यादातर पाम ऑयल प्लांटेशन और कागज उद्योग के लिए. कटे हुए पेड़ पहाड़ों पर पड़े रहते हैं. भारी बारिश में ये लट्ठे पानी के साथ बहते हैं. रास्ते में सब कुछ तोड़ते चले जाते हैं. Photo: AP
 

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1985 में सुमात्रा पर 60% से ज्यादा जंगल थे. 2000 तक 48% रह गए. 2025 तक सिर्फ 26% जंगल बचे हैं. पिछले 40 साल में 74% जंगल गायब. हर साल औसतन 5-6 लाख हेक्टेयर जंगल कट रहा है. भारत के दिल्ली से दोगुना इलाका हर साल घट रहा है. Photo: AP

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साइक्लोन सेन्यार क्यों बना इतना खतरनाक? जलवायु परिवर्तन की वजह से हिंद महासागर गर्म हो रहा है. ज्यादा नमी की वजह से भयंकर बारिश हुई. ला नीना प्रभाव की वजह से इस साल बारिश 20-30% ज्यादा हुई है. Photo: AP

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जंगल नहीं होने की वजह से पानी सीधे नदियों में फ्लैश फ्लड की तरह गया. ढीली मिट्टी और भारी बारिश की वजह से भयानक भूस्खलन हुआ. आचेह प्रांत में एक ही दिन में 4 गांव पूरी तरह गायब हो गए. Photo: AP

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उत्तर सुमात्रा के बटांग तोरू में लकड़ियों के ढेर ने सैकड़ों घर तोड़े. पश्चिम सुमात्रा के मलालक में भूस्खलन ने दर्जनों घर दबा दिए. वैज्ञानिकों की सलाह है कि तुरंत जंगलों की कटाई रोकें. पहाड़ों पर दोबारा पेड़ लगाएं.  Photo: AP

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नदियों के किनारे बफर जोन बनाएं. गांवों को ऊंची और सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करें. इंडोनेशिया सरकार ने आपदा को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है. Photo: AP

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जंगल कटने से मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता 70% तक कम हो गई. भूस्खलन का खतरा 12 गुना बढ़ गया. हर साल सुमात्रा में 300-400 भूस्खलन होते हैं – पहले सिर्फ 20-30 होते थे. अगर यही रफ्तार रही तो 2030 तक सुमात्रा के सारे जंगल खत्म. Photo: AP

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असली सवाल यह है – अगर जंगल ही नहीं बचेंगे तो अगला साइक्लोन और भयानक होगा. प्रकृति को लूटने की कीमत अब पूरी दुनिया चुका रही है. Photo: AP
 

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