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साइंस न्यूज़

Chandrayaan-3 में लगे Onboard कैमरे से कैसी दिख रही थी लॉन्चिंग, देखिए Photos

ऋचीक मिश्रा
  • श्रीहरिकोटा,
  • 15 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST
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चंद्रयान-3 के रॉकेट और यान में ऐसे कैमरे लगे हैं, जो पूरी यात्रा की तस्वीरें लेते हैं. वीडियो बनाते हैं. मकसद है किसी भी तरह की गड़बड़ी को रिकॉर्ड करना. ये तस्वीर है सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड पर खड़े रॉकेट का. लॉन्चिंग से ठीक पहले का.  (सभी फोटोः ISRO)

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जैसे ही लॉन्च का काउंटडाउन बंद होता है. स्ट्रैपऑन थ्रस्टर्स यानी साइड में लगे दो बड़े इंजन और रॉकेट का इंजन ऑन हो जाता है. उससे निकलने वाली आग से नुकसान न हो इसलिए चारों तरफ से पानी की तेज बौछार डाली जाती है. देखिए इंजन की आग के साथ बौछार की तस्वीर. 

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इसके बाद रॉकेट अपने पीछे ढेर सारा धुएं का गुबार छोड़ते हुए ऊपर बढ़ता है. पीछे आग दिखती है. जमीन दिखती है. 

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जैसे ही रॉकेट स्पीड पकड़ता है. उसके स्ट्रैपऑन इंजन के चारो तरफ हवा के दबाव से एक सफेद रंग का घेरा बनता है. ऐसा फाइटर जेट के सुपरसोनिक होने पर दिखाई देता है. 

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जब चंद्रयान-3 करीब 62.17 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचता है, तब दोनों स्ट्रैपऑन अलग हो जाते हैं. 

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ये स्ट्रैपऑन इंजन रॉकेट से अलग होकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाते हैं. यह नजारा जमीन पर खड़े होकर भी देखा जा सकता है. अगर आसमान साफ हो तो. इस बार लोगों ने इसे देखा. 

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फिर, 114.80 किलोमीटर की ऊंचाई पर यानी अंतरिक्ष में जाने के बाद चंद्रयान-3 के ऊपर लगा अंडाकार कवर हट जाता है. इसे पेलोड फेयरिंग सेपरेशन कहते हैं. 

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अब चंद्रयान-3 क्रायोजेनिक इंजन के सहारे अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा होता है. पीछे देखिए कैसे नीली धरती और काला अंतरिक्ष दिख रहा है. 

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174.69 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्रायोजेनिक इंजन बंद हो जाता है. वह चंद्रयान-3 से अलग होने लगता है. यह तस्वीर क्रायोजेनिक इंजन पर लगे ऑनबोर्ड कैमरे ने ली है. 

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179.19 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 पूरी तरह से अलग होकर अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की लंबी यात्रा पर अकेले निकल जाता है. यह 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा.  

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