Mohini Ekadashi 2022: आज यानी 12 मई को मोहिनी एकादशी मनाई जा रही है. हिन्दू धर्म में इस एकादशी को बहुत ही पावन और फलदायी माना गया है. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरे विधि विधान से व्रत रखता है तो उसका जीवन कल्याणमय हो जाता है. ऐसा व्यक्ति मोह माया के जंजाल से निकलकर मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है. मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है.
मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त- वैशाख माह की एकादशी तिथि बुधवार, 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर गुरुवार, 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. इस दौरान आप किसी भी शुभ पहर में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा कर सकते हैं.
मोहिनी एकादशी पर बन रहा खास संयोग- मोहिनी एकादशी पर चार साल बाद एक शुभ संयोग भी बन रहा है. आज गुरुवार के दिन मोहिनी एकादशी पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है. एकादशी और गुरुवार तीनों के स्वामी भगवान विष्णु ही माने जाते हैं. इससे पहले ये शुभ संयोग 26 अप्रैल 2018 को बना था. ऐसा योग अब 8 मई 2025 को बनेगा. आज के दिन व्रत रखने और पूजा पाठ से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होगी.
मोहिनी एकादशी का महत्व- मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा का विधान है. भगवान विष्णु ने यह रूप समुद्र मंथन के बाद राक्षसों से अमृत को बचाने के लिए लिया था. मोहिनी एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से कई यज्ञों को करने जितना पुण्य प्राप्त होता है. इंसान से अंजाने में हुई पापों का प्राश्यचित करने के लिए भी यह घड़ी बेहद शुभ होती है.
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा- पुराणों के अनुसार भद्रावती नामक सुंदर नगर में धनपाल नामक एक धनी व्यक्ति रहता था. वो स्वभाव से बहुत ही दानपुण्य करने वाला व्यक्ति था. उसके पांच पुत्रों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था जो बुरे कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था. एक दिन धनपाल ने उसकी बुरी आदतों से तंग आकर उसे घर से निकाल दिया. धृष्टबुद्धि दिन-रात शोक में डूब कर इधर-उधर भटकने लगा और एक दिन महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा. उस समय महर्षि गंगा में स्नान करके आए थे.
धृष्टबुद्धि शोक के भार से पीड़ित होकर कौण्डिल्य ऋषि के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, 'ऋषि ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिसके पुण्य के प्रभाव से मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊँ.' तब कौण्डिल्य बोले, मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो. इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. धृष्टबुद्घि ने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया. जिससे वह निष्पाप हो गया और दिव्य देह धारण कर श्री विष्णुधाम को चला गया.
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