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पूजापाठ

क्या है बेलपत्र का महत्व? भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाते समय बरतें ये सावधानियां

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 30 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 10:19 AM IST
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सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस बार श्रावण मास 25 जुलाई से 22 अगस्त रहेगा. सावन का महीना महादेव का सबसे प्रिय महीना है. माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान की पूजा-आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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ये तो सभी जानते हैं कि भगवान शिव की पूजा में उन्हें बेलपत्र अर्पित किया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है. तो आइए जानते हैं ज्योतिर्विद प्रवीण मिश्रा से कि क्यों चढ़ाया जाता है भगवान शिव को बेलपत्र और इसको चढ़ाते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए.

photo credit- PTI

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महादेव की पूजा में बेलपत्र चढ़ाने के पीछे एक पौराणिक कथा है. कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कई चीजों के साथ विष भी निकला. ये विष चारों ओर फैलने लगा. पूरी सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया. इसलिए महादेव को नीलकंठ भी कहा जाता है.

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विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर में ताप बढ़ने लगा, जिसकी वजह से आसपास का वातावरण जलने लगा. उस समय के एक वैद्य से सलाह लेने के बाद देवी-देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र खिलाया और जल से स्नान करवाया गया. इसके बाद भगवान शिव के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी. तभी से भगवान पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चल आ रही है.

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बेलपत्र में औषधीय गुण होते हैं. बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है.

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- शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने के बाद जल चढ़ाएं. इससे भगवान शिव को शीतलता मिलेगी और उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा. हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही चढ़ाना चाहिए.

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- जिस तरफ बेलपत्र की पत्तियां चिकनी हों, उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाएं. इस बात का ध्यान रखें कि कटे-फटे बेलपत्र कभी भी भगवान शिव पर नहीं चढ़ाने चाहिए.

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बेलपत्र चढ़ाने से पहले साफ पानी से धो लें. इसके बाद गंगाजल से धोकर साफ कर भगवान शिव को अर्पित करें.

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बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल चढ़ाते हुए ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं.

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बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई- स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर जा गिरी. इससे वहां एक पौधा उगा जो बाद में बेलपत्र के पेड़ के रूप में परिवर्तित हो गया.

 

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बेलपत्र औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसका उपयोग भगवान शिव की पूजा से लेकर दवाइयां बनाने तक में किया जाता है.  इसका प्रयोग करके कई तरह की बीमारियां दूर की जा सकती हैं.

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