जैन महाकुंभ: कहां है श्रवणबेलगोला, और क्या है इसका आध्यात्मिक महत्व

कहा जाता है कि 10वीं सदी के समय से ही हर 12 वर्ष पर यहां महामस्तकाभिषेक का आयोजन होता आ रहा है. जब इसका निर्माण हुआ था तो उस समय कर्नाटक में गंग वंश का शासन था, गंग के सेनापति चामुंडराय ने  विंध्यगिरि पर्वत को काटकर इस विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया था.

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जैन महाकुंभ जैन महाकुंभ

रोहित

  • ,
  • 19 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST

भगवान बाहुबली की कृपा की आस में श्रद्धालु श्रवणबेलगोला आते हैं. यहां भगवान बाहुबली की बहुत बड़ी प्रतिमा है. जिसका निर्माण वर्ष 981 में माना जाता है. यह जैन धर्म को मानने वाले लोगों का सबसे बड़ा तीर्थ.

कहा जाता है कि 10वीं सदी के समय से ही हर 12 वर्ष पर यहां महामस्तकाभिषेक का आयोजन होता आ रहा है. जब इसका निर्माण हुआ था तो उस समय कर्नाटक में गंग वंश का शासन था, गंग के सेनापति चामुंडराय ने  विंध्यगिरि पर्वत को काटकर इस विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया था.

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महामस्तकाभिषेक में लगभग सभी काल के तत्कालीन राजाओं और महराजाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपना सहयोग भी दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैन महाकुंभ में पहुंच गए हैं. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और  नरसिम्हा राव भी श्रवणबेलगोला का दौरा कर चुके हैं.

श्रवणबेलगोला, मैसूर से 80 किमी की दूरी पर है और बेंग्लुरू से इसकी दूरी लगभग 150 किमी है.

भगवान बाहुबली को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. इसलिए श्रवणबेलगोला तीर्थ हिंदू धर्म के लोगों को भी बहुत आकर्षित करता है. वहीं बाहुबली की विशाल ऐतिहासिक और आध्यात्मिक प्रतिमा, चंद्रगिरि पर चंद्रगुप्त मौर्य और भद्रबाहु की समाधि और गुफाएं ऐसी जगहे हैं जो दूसरे धर्म के लोगों को भी खूब पसंद आती हैं. जैन धर्म को मानने वाले लोगों के लिए यह सबसे बड़ा तीर्थ है.

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