Omkareshwar Jyotirlinga: जब राजा मंदाता की भक्ति से प्रसन्न होकर प्रकट हुए महादेव, पढ़ें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर मां नर्मदा स्वयं ऊं के आकार में बहती है. तो चलिए जानते हैं कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा के बारे में.

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (File Photo: khandwa.nic.in) ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (File Photo: khandwa.nic.in)

मेघा रुस्तगी

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST

Omkareshwar Jyotirlinga: श्रावण पूर्णिमा के साथ ही भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना समाप्त हो जाएगा. इस महीने में शिव भक्त महादेव की भक्ति जोरों शोरों से करते हैं. कुछ भक्त तो भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का भी संकल्प लेते हैं. भारत में शिवजी के कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनके बारे में ऐसी मान्यता है कि अगर इनके नाम का जाप पूरे हृदय के साथ रोजाना किया जाए तो भोलेनाथ का आशीर्वाद बना रहता है. आइए इसी कड़ी में आज आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा बताते हैं. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर मां नर्मदा स्वयं ऊं के आकार में बहती है.
 
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

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शिवपुराण के श्रीकोटि संहिता के मुताबिक, प्राचीन समय में इक्ष्वाकु वंश में एक बहुत ही पराक्रमी और धर्मात्मा राजा थे- राजा मंदाता. वो केवल एक अच्छे राजा ही नहीं, बल्कि भगवान शिव के परम भक्त भी थे. राजा मंदाता ने तय किया कि वे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करेंगे. वह नर्मदा नदी के तट पर स्थित पर्वत (जिसे आज मंदाता पर्वत कहते हैं) पर जाकर कई वर्षों तक तपस्या में लीन हो गए. उन्होंने खाने-पीने तक का त्याग कर दिया और केवल भगवान शिव का ध्यान करते रहे. उनकी भक्ति और तपस्या इतनी गहरी थी कि स्वयं भगवान शिव उनके सामने प्रकट हो गए.

राजा मंदाता ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस जगह को इतना पावन बना दो कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी हो जाए. भगवान शिव उनकी भक्ति से बहुत प्रसन्न हुए और बोले, 'हे राजन, मैं यहां सदा के लिए 'ओंकार' रूप में वास करूंगा और यह स्थान एक पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाएगा.' तभी से इस जगह को 'ओंकारेश्वर' कहा जाने लगा, जिसका अर्थ है- 'ऊं के ईश्वर' या 'ऊं रूपी शिव.' यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव के प्रकट होने के समय चारों ओर 'ऊं' की ध्वनि गूंज उठी थी, और यही 'ऊं' (ओंकार) इस ज्योतिर्लिंग की पहचान बन गई.

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कैसे पहुंचे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग?

हवाई मार्ग- अगर आप दिल्ली से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने का विचार कर रहे हैं तो आपको दिल्ली हवाई अड्डे से इंदौर (मध्य प्रदेश) हवाई अड्डा पहुंचना होगा. वहां से फिर आपको बस या टैक्सी मंदिर जाने के लिए मिल जाएगी.

रेल मार्ग- ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का सबसे करीब रेलवे स्टेशन है ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन. यह स्टेशन मंदिर से कुल 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

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