Krishna Janmashtami 2025: कौन था वो अहंकारी राजा, जो खुद को बताता था असली श्रीकृष्ण

Krishna Janmashtami 2025: इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण से जुड़ी अनेकों कथाएं हैं जिसमें से एक है नकली श्रीकृष्ण की कथा भी थी.

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कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (File Photo: AI Generated) कृष्ण जन्माष्टमी 2025 (File Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:25 AM IST

Krishna Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का त्योहार हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप की लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. 

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भगवान श्रीकृष्ण की लीला

भगवान कृष्ण का नाम सुनते ही हर कोई उनके दिव्य रूप और अद्भुत लीला को याद करता है. भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था और वे भगवान विष्णु के अवतार थे. भगवान श्रीकृष्ण के पास कई अद्भुत शक्तियां थीं, जैसे सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और उनके साथ रहने वाला पांचजन्य बांसुरी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण से जुड़ी अनेकों कथाएं हैं जिसमें से एक है नकली श्रीकृष्ण की कथा. कहते हैं कि वह राजा को खुद को श्रीकृष्ण होने का दावा करता था और लोगों को खुद की पूजा करने के लिए भी विवश करता था. आखिर कौन था नकली श्रीकृष्ण?

नकली श्रीकृष्ण की कथा

महाभारत के मुताबिक, एक पौंड्रक नाम का राजा था, जो खुद को भगवान कृष्ण बताताा था. उसने दावा किया था कि वह ही असली श्रीकृष्ण है, क्योंकि उसके पिता का नाम भी वासुदेव था. पौंड्रक ने अपनी मायावी शक्तियों से खुद के लिए नकली सुदर्शन चक्र, कौस्तुभ मणि और मोर पंख बनवाए ताकि लोग उसे असली कृष्ण मानें. वह काशी के आसपास के क्षेत्र का राजा था और उसने अपने इलाके में खूब प्रचार किया कि वह ही असली कृष्ण है.

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राजा पौंड्रक ने भगवान कृष्ण को भी चुनौती दी थी कि या तो मथुरा छोड़ दो या फिर मुझसे युद्ध करो. जब श्रीकृष्ण को यह बात पता चली तो उन्होंने युद्ध के लिए स्वयं को तैयार किया. युद्ध में श्रीकृष्ण ने देखा कि पौंड्रक का दिखावा बिल्कुल उनके जैसा था- पीतांबर, मोर पंख और सुदर्शन चक्र तक नकली था. पर असली और नकली में फर्क होता है. 

भगवान कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से पौंड्रक को आसानी से पराजित कर दिया. इस घटना से हमें यह सिखने को मिलता है कि नकली बनने की कोशिश मत करो, बल्कि अपने असली गुणों को पहचानो और उन्हें निखार कर आगे बढ़ो. नकली छवि लंबा नहीं टिकती, असली पहचान और मेहनत ही सफलता दिलाती है. 

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