नए साल की शुरुआत से पहले ही लाखों लोग देश के अलग-अलग कोनों में स्थित धार्मिक स्थलों और मंदिरों में पहुंच रहे हैं. इस अवसर पर कुछ भक्त वृंदावन के मशहूर धर्मगुरु प्रेमानंद महाराज के पास भी पहुंचे, जहां वे नए साल से जुड़े अपने सवाल पूछ रहे हैं.
ऐसी ही एक भक्त ने महाराज से पूछा, 'महाराज जी, आने वाले नव वर्ष में हमें कौन-कौन से नियम अपनाने चाहिए?' इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज ने सभी को याद दिलाया कि नया साल सिर्फ उत्सव मनाने या पार्टी करने का समय नहीं है, बल्कि ये अपने जीवन को सुधारने, बुरे कर्म छोड़ने और अच्छे कर्म अपनाने का अवसर है. महाराज ने कहा कि इस नव वर्ष में पाप और बुरे आचरण को त्यागकर, भगवान की भक्ति और परोपकार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि जीवन में सच्ची खुशहाली और सुख-शांति बनी रहे.
शराब, मांस और पाप से दूर रहें
प्रेमानंद महाराज ने साफ तौर पर जवाब देते हुए कहा कि शराब पीना, मांस खाना, हिंसा करना और व्याभिचार करने से नरक के रास्ते खुलते हैं. उनके अनुसार, कुछ लोग नए साल के उत्साह में इन चीजों का आनंद लेते हैं, लेकिन ये असली खुशी नहीं है. महाराज ने कहा, 'हैप्पी न्यू ईयर कहकर शराब पीना और गंदे काम करना खुशी नहीं, बल्कि दुख और पाप का कारण है.'
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि नई शुरुआत पर नशा और पाप छोड़ें और जीवन को धर्म और भक्ति के रास्ते पर ले जाएं.
नए साल पर अपनाएं ये अच्छे नियम
नए साल पर जीवन को सुधारने और खुशहाल बनाने के लिए प्रेमानंद महाराज ने कुछ जरूरी संकल्प बताए हैं. उन्होंने कहा कि इस नए साल में शराब पीना छोड़ें, मांस का त्याग करें और पराई स्त्री के प्रति गलत इच्छाओं को त्यागें. इसके साथ ही क्रोध, चोरी, हिंसा और अन्य बुरे कर्मों से दूर रहें, नाम जप और भगवान की भक्ति करें और परोपकार व दान खूब करें. महाराज ने बताया कि यदि आप ये नियम अपनाएं, तो न सिर्फ आपका नया साल बल्कि पूरा जीवन मंगलमय और सुख-शांति से भरा हो सकता है.
बच्चों और समाज के लिए दिया संदेश
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि केवल व्यक्तिगत सुधार ही नहीं, बल्कि समाज और बच्चों के लिए भी ये आवश्यक है कि हम बुराइयों से दूर रहें. जो लोग पाप और बुरे कर्मों में लिप्त रहते हैं, उन्हें जीवन में दुख और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. वह बोले, 'मनुष्य जीवन मिला है, राक्षस नहीं. इसलिए राक्षसी कर्म मत करो. परमात्मा की कृपा और प्रसन्नता पाओ.'
'प्रसन्नता परमात्मा से मिलती है, न कि मदिरा और मांस से'
महाराज ने कहा कि असली खुशी और आनंद भगवान की भक्ति और अच्छे कर्मों से आता है, न कि शराब, पार्टी या व्याभिचार से. उन्होंने सभी से प्रार्थना की कि नव वर्ष पर अच्छे संकल्प लें, बुराइयों का त्याग करें, और धर्म, भक्ति और परोपकार को अपनाएं. वह बोले, 'इस तरह आपका नव वर्ष मंगलमय होगा और सभी पर भगवान की कृपा बनी रहेगी. सब स्वस्थ और सुखी रहें.'
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