Hanuman Jayanti 2025: जब हनुमान जी को लेना पड़ा पंचमुखी अवतार, पढ़ें अहिरावण के वध की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने यह अवतार त्रेतायुग में भगवान विष्णु के राम अवतार की सेवा और सहायता के लिए लिया था. लेकिन क्या कभी आपने हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के बारे में सुना है.

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हनुमान के पंचमुखी रूप का जिक्र हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. यह हनुमान जी के सबसे चमत्कारी और बलशाली रूपों में से एक है. हनुमान के पंचमुखी रूप का जिक्र हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. यह हनुमान जी के सबसे चमत्कारी और बलशाली रूपों में से एक है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:59 PM IST

Hanuman Jayanti 2025: 12 अप्रैल यानी कल देशभर में हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा. हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाली हर समस्या, संकट और भय को दूर सकते हैं. यही वजह है कि भक्त उन्हें संकटमोचन भी कहते हैं. हनुमान जी को भगवान शंकर का ग्यारहवां अवतार माना गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने यह अवतार त्रेतायुग में भगवान विष्णु के राम अवतार की सेवा और सहायता के लिए लिया था. लेकिन क्या कभी आपने हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के बारे में सुना है. आइए आज आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं.

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हनुमान के पंचमुखी रूप की कहानी
हनुमान के पंचमुखी रूप का जिक्र हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. यह हनुमान जी के सबसे चमत्कारी और बलशाली रूपों में से एक है. रामायण के अनुसार, रावण और भगवान राम का युद्ध चल रहा था. तभी रावण ने अपने भाई और पाताल लोक के राजा अहिरावण से मदद मांगी. अहिरावण अपनी मायावी शक्तियों के बल पर भगवान राम और लक्ष्मण को बेहोश कर पाताल लोक ले गया और वहां पांच दीपक जलाए. अहिरावण को मां भवानी से वरदान प्राप्त था कि उसे तभी मारा जा सकता है, जब कोई पांचों दिशाओं में जलाए गए दीपकों को बुझा दें.

जब यह बात विभीषण को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को तुरंत इसके बारे में बताया. यह सुनते ही हनुमान फौरन पाताल लोक चले गए. वहां उन्हें अपना पुत्र मकरध्वज मिला जो पाताल लोक का द्वारपाल था. इसके लिए हनुमान जी को अपने पुत्र से ही युद्ध करना पड़ा. उसे हराने के बाद ही हनुमान जी पाताल लोक में दाखिल हो पाए.

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पाताल लोक में अहिरावण ने भगवान राम और लक्ष्मण को बंधक बनाकर रखा था. उसने एक जादुई घेरा बनाया हुआ था. तब उसका मुकाबला करने के लिए हनुमान ने पंचमुखी रूप धारण किया, ताकि प्रत्येक मुख से पांच अलग-अलग दिशाओं में जलाए गए दीपक बुझाए जा सकें. पांचों दीपक बुझाने के बाद हनुमान ने अहिरावण का अंत किया और भगवान राम व लक्ष्मण को पाताल लोक से वापस ले आए. पंचमुखी हनुमान के प्रत्येक मुख का एक विशेष अर्थ भी है.

पंचमुखों का अर्थ 
पूर्व दिशा-  हनुमान मुख जो शक्ति और भक्ति का प्रतीक
पश्चिम दिशा-  गरुड़ मुख जो हर प्रकार के नकारात्मकता से रक्षा करने वाला  
उत्तर दिशा- वराह मुख जो सुख-समृद्धि का दाता है.
दक्षिण दिशा- नरसिंह मुख जो भय और बुराई को नष्ट करने वाला है
ऊपर दिशा- हयग्रीव मुख जो ज्ञान और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है.

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