Ganesh Chaturthi 2025: रणथंभौर का 700 साल पुराना गणेश जी का मंदिर, जहां बप्पा की परिवार संग होती है पूजा

Ganesh Chaturthi 2025: भारत में गणपति बप्पा के कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक है रणथंभौर का 700 साल पुराना त्रिनेत्र गणेश मंदिर.

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रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर (File Photo: FB-Trinetra ganesha temple ranthambore) रणथंभौर का त्रिनेत्र गणेश मंदिर (File Photo: FB-Trinetra ganesha temple ranthambore)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

Ganesh Chaturthi 2025: इस बार गणेश चतुर्थी का त्योहार 27 अगस्त, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है. वहीं, भारत में गणपति बप्पा के कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्हीं चमत्कारी मंदिरों में से एक है रणथंभौर का 700 साल पुराना त्रिनेत्र गणेश मंदिर. तो चलिए रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर का महिमा और पौराणिक महत्व के बारे में जानते हैं. 

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रणथंभौर के त्रिनेत्र गणेश मंदिर की महिमा

राजस्थान का रणथंभौर किला जितना मशहूर अपनी शेरों और जंगल सफारी के लिए माना जाता है, उतना ही खास है यहां स्थित 700 साल पुराना गणेश जी का मंदिर. इस मंदिर की एक अलग ही पहचान है कि यहां गणपति बप्पा अकेले नहीं, बल्कि पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं. आमतौर पर आप मंदिरों में गणेश जी को अकेले देखते होंगे. लेकिन, इस मंदिर में उनकी पत्नी ऋद्धि-सिद्धि, पुत्र शुभ-लाभ और वाहन मूषक संग पूजा होती है. यही वजह है कि इसे त्रिनेत्र गणेश मंदिर भी कहा जाता है. 

त्रिनेत्र गणेश मंदिर नहीं है किसी चमत्कार से कम

किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर का इतिहास 700 साल से भी पुराना है. 1299 ईसवी में राजा हम्मीर ने अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ युद्ध लड़ा था. युद्ध में घेराबंदी इतनी लंबी चली कि रणथंभौर किले के अंदर अन्न खत्म होने लगा. फिर एक रात भगवान गणेश के भक्त राजा हम्मीर ने सपना देखा कि भगवान उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें आश्वासन दिया कि सुबह तक उनकी परेशानियां खत्म हो जाएंगी.

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फिर, अगली सुबह अचानक एक चमत्कार हुआ कि किले में तीन नेत्रों वाले भगवान गणेश (त्रिनेत्र) की एक मूर्ति प्रकट हुई. जिसके तुरंत बाद, राजा के गोदाम भी अन्न से भर गए और युद्ध समाप्त हो गया. जिसके बाद राजा हम्मीर ने 1300 ई. में त्रिनेत्र गणेश मंदिर का निर्माण कराया और गणेश जी को परिवार संग, वहां स्थापित किया. जिससे यह एक अनोखा मंदिर बन गया.

पूरे परिवार संग गणेश जी हैं विराजमान

त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां बप्पा का पूरा परिवार विराजमान है. जहां गणपति जी अपने तीन नेत्रों के साथ दिखाई देते हैं, वहीं बगल में उनकी पत्नी ऋद्धि और सिद्धि हैं. उनके साथ पुत्र शुभ और लाभ भी मौजूद हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि पूरे परिवार के दर्शन से जीवन में सुख और समृद्धि आती है. साथ ही, भगवान गणेश का आशीर्वाद भी बना रहता है.

मंदिर में पत्र लिखने की है अनोखी परंपरा

इस मंदिर की एक खास परंपरा है कि लोग गणपति बप्पा को चिट्ठियां लिखते हैं. आज भी हजारों पत्र रोज मंदिर में आते हैं. इनमें लोग अपनी इच्छाएं, समस्याएं और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं. पुजारी इन पत्रों को गणेश जी के चरणों में चढ़ा देते हैं. कहा जाता है कि जो सच्चे मन से गणेश जी को पत्र लिखता है, उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं.

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