सावन में सोमवती अमावस्या व्रत का खास महत्व होता है. मानसिक परेशानी या चंद्रमा कमजोर हो तो इस दिन विशेष लाभ मिल सकता है. 20 साल बात सोमवती और हरियाली अमावस्या का खास योग भी बन रहा है. इस बार सोमवती अमावस्या का व्रत सोमवार, 20 जुलाई को रखा जा रहा है. पौष मास में मूल नक्षत्र के कारण दोषों से ज्यादा आसानी से मुक्ति मिल सकती है. आइए जानते हैं सोमवती अमावस्या के दिन कौन से कार्य वर्जित माने जाते हैं.
1. अमावस्या पर किसी भी इंसान को श्मशान घाट या कब्रिस्तान में या उसके
आस-पास नहीं घूमना चाहिए. इस समय बुरी आत्माएं सक्रिय हो जाती हैं और मानव
इन बुरी आत्माओं या नकारात्मक शक्तियों से लड़ने में सक्षम नहीं होता है.
2.
ये नकारात्मक शक्तियां मानसिक रूप से कमजोर किसी भी व्यक्ति को तुरंत अपने
प्रभाव में ले लेती हैं. प्रायः जब कोई व्यक्ति इन नकारात्मक शक्तियों के
प्रभाव में आता है तो उसका खुद पर काबू नहीं रहता. वह उनके वश में हो जाता
है.
3. सोमवती अमावस्या के दिन सुबह देर तक सोते ना रह जाएं. जल्दी उठे. स्नान करें और व्रत रखने के बाद पूजा-पाठ करें.
4.
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान का खास महत्व है इसलिए अगर आप किसी पवित्र
नदी में स्नान ना कर पाएं है तो घर पर जरूर स्नान कर लें. स्नान करने के
बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना नहीं भूलें.
5. अमावस्या पर संयम
बरतना चाहिए. इस दिन पुरुष और स्त्री को यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए. गरुड़
पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को
आजीवन सुख नहीं मिलता है.
6. अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करने से
शुभ फल प्राप्त होते हैं लेकिन शनिवार के अलावा अन्य दिन पीपल का स्पर्श
नहीं करना चाहिए इसलिए पूजा करें लेकिन पीपल के वृक्ष का स्पर्श ना करें.
इससे धन की हानि होती है.
7. इस अमावस्या पर शराब और मांस इत्यादि से दूर रहें. सोमवती अमावस्या के दिन लहसुन-प्याज जैसी तामसिक चीजें भी न खाएं.
8.
सोमवती अमावस्या के दिन शेव, हेयर और नेल कटिंग ना करें. इन कामों को भी
वर्जित किया गया है. शरीर पर तेल की मालिश करने से भी बचें
9.
अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह का माहौल
बिल्कुल नहीं होना चाहिए. लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए. इस दिन
कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए.
10. अगर सोमवती अमावस्या का
व्रत हैं तो श्रृंगार करने से बचें. सादगी अपनाएं. इस दिन पीपल के पेड़ की
परिक्रमा करके सुखद वैवाहिक जीवन का वरदान मिलता है.