21 फरवरी को देश भर में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं भगवान शिव से जुड़े उन स्थलों के बारे में, जिनके साथ रोचक प्रसंग जुड़े हुए हैं. आज हम बात कर रहे हैं पौड़ीवाला के भगवान शिव के मंदिर की, जिसके बारे में मान्यता है कि अमरता पाने के लिए रावण ने यहां दूसरी पौड़ी का निर्माण किया था. यह जगह चंडीगढ़ से 70 किलोमीटर दूर तो नाहन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
(Photo: lifeontravel.blogspot.com)
इस शिव मंदिर के इतिहास को लंकापति रावण के साथ जोड़कर देखा जाता है. मान्यता है कि रावण ने अमरत्व प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव शंकर ने उन्हें वरदान दिया कि यदि वह एक दिन में पांच पौड़ियां निर्मित कर देगा तो वह अमर हो जाएगा.
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वरदान मिलने के बाद रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में निर्मित की जिसे अब हर की पौड़ी कहते हैं. रावण ने दूसरी पौड़ीवाला में, तीसरी चूड़ेश्वर महादेव व चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. इसके बाद रावण को नींद आ गई. जब वह जागा तो सुबह हो गई थी. उसके बाद रावण की अमरता की कामना मन में ही रह गई.
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मान्यता है कि पौड़ीवाला स्थित इस शिवलिंग में साक्षात शिव शंकर विद्यमान हैं और यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
एक अन्य कथा के अनुसार विष्णु भगवान की तपस्या करने पर मृकंड ऋषि को उन्होंने पुत्र का वरदान देते हुए कहा कि इसकी उम्र केवल 12 साल होगी. इस वरदान के फलस्वरूप मार्कण्डेय ऋषि का जन्म हुआ जिन्होंने अमरत्व प्राप्त करने की लिए भगवान शिव की तपस्या में निरंतर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया. (Demo Photo)
12 साल पूरे होने पर जब यमराज उन्हें लेने आए तो उन्होंने यहां स्थित शिवलिंग को बांहों में भर लिया जिससे शिवजी वहां प्रकट हुए. शिवजी ने मार्कण्डेय ऋषि को अमरत्व प्रदान किया. वहीं से मारकंडा नदी का जन्म हुआ. इसके बाद भगवान शिव शंकर पौड़ीवाला स्थित इस शिवलिंग में समा गए थे. (Demo Photo)