24 जनवरी को शनि धनु से अपनी स्वराशि मकर में गोचर करने जा रहे हैं. इसके साथ ही कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी जिसका प्रभाव साढ़े सात साल तक कुंभ राशि के जातकों पर रहेगा. इसी तरह छह माह के अंतराल में जब भी शनि किसी राशि में गोचर करेंगे तो उसके आगे की राशि में साढ़े साती लग जाएगी. आइए इसी आपको बताते हैं कि आखिरी शनि की साढ़े साती या ढैय्या क्या है और ये कैसे आपके लिए फायदेमंद हो सकती है.
क्या है शनि की साढ़े साती?-
शनि हर राशी पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है. जब यह प्रभाव किसी राशि के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़े साती कहते हैं.
शनि जब भी किसी राशि से बारहवें घर में जाता है तो उससे अगली राशि में साढ़े साती शुरू हो जाती है. शनि एक राशि में ढाई वर्ष रहता है और एक साथ तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है. यानी ढाई-ढाई वर्षों के तीन चरण साढ़े सात साल तक साढ़े साती के रूप में चलते हैं.
क्या है शनि की ढैया?
राशियों पर भ्रमण के दौरान जब शनि किसी राशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में आता है तो इसको शनि की ढैया कहा जाता है. यह शनि के एक राशि पर भ्रमण के दौरान ढाई साल तक उसका प्रभाव रहता है.
साढ़ेसाती का सामान्य रूप से क्या प्रभाव पड़ता है?
लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी आवश्यक नहीं है. सबसे पहले देखना होगा कि आपकी व्यक्तिगत दशा क्या है. इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी. तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़े साती या ढैया का फल बुरा होगा या अच्छा.
साढ़ेसाती या ढैया में किस तरह के फायदे हो सकते हैं?
साढ़ेसाती में व्यक्ति को अच्छे और बुरे की पहचान हो जाती है. व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूर्ण प्रयोग करता है. व्यक्ति बहुत तेजी से ऊंचाइयों तक पहुंच जाता है. रुके हुए या बंद करियर में सफलता मिलती है. व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है. व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं.
अगर साढ़ेसाती का परिणाम अशुभ हो तो क्या उपाय करें?
- शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं
- नित्य सायं शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें
- अगर कष्ट ज्यादा हो तो शनिवार को छाया दान भी करें
- भोजन में सरसों के तेल , काले चने और गुड़ का प्रयोग करें
- अपना आचरण और व्यवहार अच्छा बनाए रखें