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धर्म

'बाहर के लोगों को मिल रही नागरिकता तो भगवान को क्यों नहीं'

aajtak.in
  • 28 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST
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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के मुद्दे पर पिछले एक महीने से देशभर में बहस छिड़ी हुई है. मुस्लिम समुदाय के लोग सरकार के इस नए कानून से नाराज हैं. जबकि केंद्र सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस बिल से भारतीय मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है. यह बिल दूसरे देशों से आए अल्पसंख्यकों का नागरिकता देने के लिए है.

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इसी बीच हैदराबाद के चिलकुर बालाजी मंदिर के प्रमुख पुजारी ने सीएस रंगराजन सरकार से हिंदू देवी-देवताओं को भी नागरिकता देने की मांग रखी है.

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रंगराजन का कहना है कि सीएए के जरिए भारत के हिंदू देवी-देवताओं को भी नागरिकता मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि जब सरकार बाहर से आए शरणर्थियों को नागरिकता दे सकती है तो हिंदू देवी-देवताओं को क्यों नहीं.

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सीएस रंगराजन ने विशेष रूप से तिरुमाला में वेंकटेश्वर स्वामी, सबरीमाला में अयप्पा स्वामी और केरल में पद्मनाभस्वामी जैसे हिंदू देवताओं को सीएए की धारा 5 (4) के तहत नागरिता देने की मांग कर रहे हैं.

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रंगराजन का कहना है, 'चूंकि इन देवताओं को एक पुजारी, ट्रस्टी या किसी एग्जीक्यूटिव ऑफिसर द्वारा ही अदालत में पेश किया जा सकता है, इसलिए उन्हें अल्पसंख्यकों के रूप में ही गिना जाएगा.'

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उन्हें शिकायत है कि भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की विचारधारा हिंदू मंदिरों और धर्मार्थ संस्थानों पर हावी होती नजर आ रही है. सरकार संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक फैसलों के बावजूद हिंदू मंदिरों और धर्मार्थ संस्थानों को नियंत्रित करना चाहती हैं.

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जबकि अन्य धार्मिक स्थलों को संबंधित प्रबंधन द्वारा नियंत्रित किया गया है. हालांकि आर्टिकल 26 किसी भी वर्ग के नागरिकों के लिए समानता के अधिकारों की बात करता है.'

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रंगराजन जिन मूर्तियों के लिए नागरिकता चाहते हैं वे केवल भक्ति का एक प्रतीक हैं और उन्हें कभी मुस्लिम बहुल राष्ट्र से खतरा नहीं हुआ है. क्या वे सीएए के योग्य नहीं हैं?

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बता दें कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता देने की बात की जा रही है. इसमें धर्म के नाम पर नागरिकता देने के बाद विवाद बढ़ा है.

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दरअसल केंद्र सरकार इसमें हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को ही नागरिकता देने की बात कर रही है. जबकि इस मुस्लिम समुदाय के लोगों को इससे बाहर रखा गया है.

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