शनि देव 12 जुलाई को वक्री चाल के साथ मकर राशि में लौट रहे हैं. शनि की वक्री चाल को उल्टी या टेढ़ी चाल भी कहा जाता है. क्या आप जानते हैं शनि की टेढ़ी चाल के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल शनि एक श्राप की वजह से टेढ़ी चाल चलते हैं. आइए आपको बताते हैं कि शनि की टेढ़ी चाल का श्राप किसने और क्यों दिया था.
शनिदेव की मां संध्या ने उन्हें पैर टूट जाने का श्राप दिया था. लेकिन शनिदेव के पिता सूर्यदेव ने इस श्राप का प्रायश्चित बताकर उन्हें बचा लिया था. तभी से कहते हैं कि शनिदेव के पैरों में दोष है जिसकी वजह से वो टेढ़ी चाल चलते हैं. ऐसा कहते हैं कि शनि देव की चाल इसी वजह से धीमी है और वो एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में सबसे ज्यादा समय लेते हैं.
मां के श्राप ने शनि को ऐसे किया लंगड़ा
शनिदेव भगवान सूर्य के पुत्र हैं, लेकिन सूर्यदेव की पत्नी और शनि की मां छाया सूर्य का तेज नहीं सह पाती हैं. इसीलिए वो अपनी जुड़वां संध्या का निर्माण करती हैं और मायके चली जाती हैं. इस हिदायत के साथ कि संध्या कभी भी सूर्यदेव को सत्य का पता नहीं चलने देंगी. लेकिन संध्या शनिदेव से ज्यादा अपनी संतान का ध्यान रखती हैं.
एक दिन शनिदेव को तेज भूख लगी और उन्होंने मां संध्या से खाना मांगा. इस पर संध्या ने भोजन में देरी बताकर प्रतीक्षा करने को कहा. शनिदेव इस पर क्रोधित हो गए और अपनी मां पर पैर से प्रहार कर दिया. इसके बाद मा संध्या ने शनिदेव को उनके पैर टूट जाने का श्राप दे दिया.
पैर टूटने की असहनीय पीड़ा में शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव को पुकारा और उन्हें श्राप के बारे में बताया. इसके बाद सूर्यदेव ने शनि के पैर को टूटने से तो बचा लिया, लेकिन अपनी शक्तियों से उनके पैर को पूरी तरह से ठीक ना कर सके. तभी से शनि के पैरों में त्रुटि है और वह टेढ़ी चाल चलते हैं.
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