हिंदू धर्म में शंख को अत्यंत पवित्र माना गया है. यह न केवल पूजा-पाठ में उपयोग किया जाता है, बल्कि इसे घर में शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर में शंख की स्थापना सही तरीके से की जाती है, वहां देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है. शंख से उत्पन्न ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है और मन को शांति देती है. कहा जाता है कि शंख समुद्र से उत्पन्न होने वाला ऐसा दिव्य तत्व है, जिसमें जल, वायु और आकाश तीनों तत्वों का अद्भुत संगम होता है. इसलिए इसे देवताओं का प्रिय माना गया है. लेकिन ध्यान रहे कि शंख को रखने और उपयोग करने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं. अगर इन्हें नजर अंदाज किया जाए, तो इसके शुभ फल की जगह नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं.
शंख रखने की सही दिशा
शंख को हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में रखना शुभ माना जाता है. यह दिशा भगवान विष्णु की मानी जाती है, और इस दिशा में रखा गया शंख घर में शांति और सकारात्मकता लाता है. इसे कभी भी दक्षिण दिशा में न रखें, क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं.
शंख की सफाई और पवित्रता
शंख को रोज या कम से कम सप्ताह में एक बार गंगाजल या स्वच्छ पानी से धोना चाहिए. इसे हमेशा साफ कपड़े से पोंछकर पवित्र स्थान पर रखें. शंख को गंदे या धूल भरे स्थान पर रखने से इसका प्रभाव कम हो जाता है.
दो शंख रखना होता है शुभ
घर या मंदिर में दो शंख रखना शुभ माना जाता है. एक पूजन के लिए और दूसरा भगवान विष्णु को अर्पित करने के लिए. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
पूजा वाला शंख कभी न बजाएं
जो शंख पूजा के लिए रखा गया हो, उसे कभी भी फूंका या बजाया नहीं जाता. उसे केवल जल अर्पित करने, अभिषेक या आरती के समय उपयोग किया जाता है. पूजा में रखे शंख को बजाना अशुभ माना जाता है.
शिव पूजा में शंख का प्रयोग न करें
शिव पूजा में शंख का उपयोग वर्जित माना गया है, क्योंकि मान्यता है कि शंख में समुद्र तत्व होता है और समुद्र देवता से शिव जी का संबंध विष से जुड़ा है. इसलिए शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना या उसका प्रयोग करना अनुचित है.
शंख को कभी खाली न रखें
शंख को हमेशा थोड़ा सा जल या गंगाजल भरकर रखना चाहिए. खाली शंख नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है, जबकि जल भरा शंख सकारात्मकता और पवित्रता का प्रतीक होता है.
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