हमें घर में बचपन से ही सुबह स्नान करने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण बताए जाते रहे हैं. कहते हैं कि सुबह स्नान करने से न केवल शरीर स्वच्छ और ऊर्जावान रहता है, बल्कि मन की शुद्धि का भी अनुभव होता है. लेकिन क्या आप जानते शास्त्रों के अनुसार, कई मामलों में रात के समय भी स्नान करना जरूरी हो जाता है. आइए जानते हैं कि रात्रि स्नान को लेकर हमारे शास्त्रों में क्या लिखा हुआ है.
वसिष्ठ सहिंता के अनुसार, कुछ अवसरों पर रात के समय स्नान करना अनिवार्य है. इसमें एक श्लोक है. पुत्रजन्मे यज्ञ च तखा संङ्क्रमण राहोश्च। दर्शने कार्यं प्रशस्तं नान्यथा निशि।। इस श्लोक में बताया गया है कि वो कौन से क्षण होते हैं, जब एक आदमी का रात में स्नान करना भी जरूरी होता है.
ग्रहण के बाद
वसिष्ठ सहिंता के अनुसार, सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करना बेहद जरूरी होता है. ग्रहण काल में जब सूतक मान्य हो तो यह और भी जरूरी हो जाता है. ग्रहण के मोक्ष काल में स्नान और दान करने से ग्रहण की नकारात्मकता का प्रभाव खत्म हो जाता है. इसलिए ग्रहण अगर रात को भी समाप्त हो तो स्नान जरूर करना चाहिए.
सूर्य संक्रांति
हर महीने सूर्य का राशि परिवर्तन होता है. इसी को सूर्य संक्रांति कहा जाता है. इसलिए सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करेंगे तो उसे धनु संक्रांति कहेंगे. कहते हैं कि अगर सूर्य का यह गोचर रात के समय हो, तो व्यक्ति को जरूर स्नान करना चाहिए.
पुत्र की उत्पत्ति
वसिष्ठ सहिंता के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है तो उसे भी रात्रिकाल में स्नान करना चाहिए. स्नान के अलावा, आप सामर्थ्य के अनुसार गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा भी दे सकते हैं.
यज्ञ
ऐसा भी कहा गया है कि यज्ञ जैसे धार्मिक अनुष्ठान के बाद भी व्यक्ति का रात में स्नान करना जरूरी होता है. इसलिए जब भी आप कोई यज्ञ करें या उसमें शामिल हों तो रात के समय स्नान जरूर करें.
शव या दाह संस्कार के बाद
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, किसी शव को कंधा देना, श्मशान घाट जाने या दाह संस्कार में शामिल होने के बाद भी व्यक्ति को स्नान जरूर करना चाहिए. अधिकांश घरों में तो लोग श्मशान से आने के बाद नहाए बिना घर में प्रवेश भी नहीं करते हैं.
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