Som Pradosh Vrat Shubh Muhurt: हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है. इस दिन शिवजी की विशेष पूजा की जाती है और उनकी कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सप्ताह के जिस दिन प्रदोष आता है, उसी अनुसार उसकी महिमा बढ़ जाती है. सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष सोम प्रदोष कहा जाता है. 17 नवंबर यानी आज साल 2025 का आखिरी सोम प्रदोष व्रत है. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन शुभ मुहूर्त में महादेव की पूजा से बड़ा लाभ मिल सकता है. आइए भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त जानते हैं.
सोम प्रदोष व्रत में शिव पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का सबसे श्रेष्ठ समय सूर्योदय से 45 मिनट पहले और सूर्योदय के 45 मिनट बाद का माना जाता है. इसके अलावा आप प्रदोष काल में भी महादेव की पूजा कर सकते हैं. 17 नवंबर को प्रदोष काल में पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 28 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, आप दोपहर को 11.57 बजे से दोपहर 12.27 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में भी महादेव की पूजा कर सकते हैं.
सोम प्रदोष व्रत और पूजा विधि
सोम प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें. भगवान को भांग, धतूरा, रुद्राक्ष, नारियल, बेलपत्र और सफेद चीजों का भोग अर्पित करें. फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें. रात्रिकाल में दीपक जलाकर पुनः मंत्र जाप करना शुभ होता है. इस व्रत के दौरान केवल जलाहार या फलाहार ग्रहण करना उचित माना गया है. नमक और अनाज से परहेज करना चाहिए.
प्रदोष व्रत का उद्यापन
यह व्रत 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों तक रखा जा सकता है, जिसके बाद उद्यापन करना आवश्यक है. उद्यापन त्रयोदशी तिथि के दिन ही किया जाना उचित होता है. इससे एक दिन पहले गणेश पूजन किया जाता है. रात में भजन-कीर्तन के साथ जागरण होता है. फिर अगले दिन मंडप बनाकर कपड़ों और रंगोली से सजाएं. हवन में खीर की आहुति दें. भगवान शिव की आरती करें और अपनी क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा प्रदान करें.
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