Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन आज, जानें स्कंदमाता के पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व

Shardiya Navratri 2025: आज, यानी 27 सितंबर को स्कंदमाता की पूजा की जाती है. माना जाता है कि संकदमाता की आराधना करने से सभी इच्छाए पूर्ण होती हैं और जातक को सुख-शांति मिलती है.

Advertisement
शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है. (Photo: ITG) शारदीय नवरात्र का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

नवरात्र का पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की साधना और उपासना का विशेष अवसर माना जाता है. हर दिन माता के एक अलग रूप की पूजा की जाती है. पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है. स्कंदमाता शब्द का अर्थ है- भगवान स्कंद (यानी कार्तिकेय जी) की माता. इसीलिए देवी को यह नाम प्राप्त हुआ था.

Advertisement

शास्त्रों में कहा गया है कि मां स्कंदमाता की कृपा से भक्त को सुख-समृद्धि के साथ-साथ दिव्य ज्ञान और शांति की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि सच्चे मन से की गई उनकी आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.

पूजा का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि 27 सितंबर, आज है. आज दिन पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेंगे ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 36 मिनट से 5 बजकर 24 मिनट तक रहने वाला है. प्रात:कालीन संध्या सुबह 5 बजे से 6 बजकर 12 मिनट तक है. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. संध्या पूजा  मुहूर्त शाम 6 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इन मुहूर्तों में मां की उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होने लगती हैं.

Advertisement


मां स्कंदमाता का स्वरूप और विशेषताएं

शास्त्रों में देवी स्कंदमाता को सिंह पर सवार, चार भुजाओं वाली देवी के रूप में वर्णित किया गया है. उनके दो हाथों में कमल पुष्प सुशोभित रहते हैं. एक हाथ से वे भक्तों को वरद मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं और उनके विग्रह में बालरूप भगवान कार्तिकेय गोद में विराजमान रहते हैं. देवी कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. कमल पर विराजमान होने के कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. 

स्कंदमाता की पूजा विधि

पंचमी के दिन भक्तों को माता के श्रृंगार में सुंदर और शुभ रंगों का प्रयोग करना चाहिए. पूजा के समय साधक को विनम्रता और पूर्ण श्रद्धा के साथ देवी स्कंदमाता और बाल कार्तिकेय की आराधना करनी चाहिए. मां को कुमकुम, अक्षत, पुष्प, चंदन और फल अर्पित करें. साथ ही घी का दीपक जलाकर स्तुति करें. इस दिन विशेष रूप से मां को केले का भोग लगाने का महत्व है. माना जाता है कि केले का प्रसाद ब्राह्मण को दान करने से बुद्धि का विकास होता है और साधक जीवन में प्रगति की ओर अग्रसर होता है. साथ ही परिवार में सुख, शांति और वैभव बढ़ता है.
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement