Sawan Somwar 2023: सावन का दूसरा सोमवार आज, शिव तांडव स्त्रोत समेत इन खास मंत्रों से करें शिव पूजा

Sawan Somwar 2023: भगवान शिव और उनकी महिमा के बारे में पुराणों, धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में बहुत सी बातें लिखी और बताई गई हैं. ज्योतिष कहते हैं कि शिव की विशेष कृपा पाने के लिए अद्भुत फलदायी है शिव तांडव स्तोत्र का पाठ और उनके मंत्रों का जाप. आइए जानते हैं कि शिव तांडल स्तोत्र के पाठ की महिमा क्या है. साथ ही कौन से उनके खास मंत्र है.

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सावन सोमवार 2023 सावन सोमवार 2023

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST

Sawan Somwar 2023: आज सावन का दूसरा सोमवार है. मान्यताओं के अनुसार सावन का पवित्र महीना भगवान महादेव को अति प्रिय है. सावन के महीने सोमवार के व्रत से करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़े होते हैं. देवों के महादेव को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना जाता है.

इस माह में विधिपूर्वक शिव जी की आराधना करने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं. कहा जाता है कि सावन के इस महीने में कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कहते हैं कि जो व्यक्ति सावन में नियमित रूप से शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आज सोमवार को शिव तांडव स्त्रोत समेत कुछ खास मंत्रों के साथ पूजा करेंगे तो शिव की कृपा प्राप्त होगी.

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क्या है शिव तांडव स्त्रोत?

शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के परम भक्त रावण द्वारा की गई एक विशेष स्तुति है. यह स्तुति छन्दात्मक है और इसमें बहुत सारे अलंकार हैं. कहते हैं कि रावण जब कैलाश पर्वत लेकर चलने लगा तो शिवजी ने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया था. इससे रावण कैलाश पर्वत के नीचे दब गया. तब रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की थी, उसे शिव तांडव स्तोत्र कहा गया. जिस जगह रावण दबा था, उसे राक्षस ताल कहा जाने लगा.

शिव तांडव स्तोत्र पाठ के नियम 

सुबह या प्रदोष काल में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम होता है. पहले शिवजी को प्रणाम करें. उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें. अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा. पाठ के बाद शिवजी का ध्यान करें और अपनी प्रार्थना करें. 

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सावन सोमवार व्रत के पूजन मंत्र

- ऊं नम: शिवाय:
- ऊं शंकराय नम:
- ऊं महेश्वराय  नम:
- ॐ ईशानाय नम:
- ऊं नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय ।
- ॐ त्र्यम्बकाय नम:

ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम् ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम।।

महामृत्युंजय मंत्र
 “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

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