Sawan 2023: सावन के पहले सोमवार का क्या है महत्व? जानें पूजन विधि और इसका खास उपाय

Sawan 2023: सावन के महीने में महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी शिव भक्त भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा- अर्चाना करता है उसके जीवन में हमेशा ही सुख और समृद्धि आती है. साथ ही सावन का पहला सोमवार भी बेहद शुभ माना जाता है.

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सावन का पहला सोमवार सावन का पहला सोमवार

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 7:30 AM IST

Sawan 2023: पूरा श्रावण मास जप, तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व है. सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं. इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है. कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छायी हो, अगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा जाता है. सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था. सावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है. 

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सावन के सोमवार के पूजा का महत्व 

भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है. अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अडचने आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए. अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है. सावन के सोमवार को शिव जी की पूजा सर्वोत्तम होती है. इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है.

सावन के सोमवार की पूजन विधि 

प्रातः काल या प्रदोष काल में स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं. घर से नंगे पैर जायें तथा घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं. मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग करें. वहीं पर खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें. दिन में केवल फलाहार करें. सायंकाल भगवान के मन्त्रों का फिर जाप करें, तथा उनकी आरती करें. अगले दिन पहले अन्न वस्त्र का दान करें तब जाकर व्रत का पारायण करें. 

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सावन के पहले सोमवार पर विशेष उपाय 

प्रयास करें कि शिव जी की पूजा प्रदोष काल में की जाए, इस समय शिवलिंग पर बेलपत्र और जल की धारा अर्पित करें. इसके बाद शिव जी के मंदिर में एक घी का दीपक जलाएं. इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें. शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें.

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