Gemstone: इस तरह करें असली और नकली रत्न की पहचान, राशिनुसार कैसे करें रत्नों का चयन

ज्योतिष के अनुसार मनुष्य का जीवन ग्रह नक्षत्र के अनुसार चलता है. ज्योतिषाचार्य विशेषज्ञों का मनाना है कि ग्रहों की शांति मनुष्य के जीवन में परिवर्तन लाती है. इसलिए ग्रहों को शांत करने के लिए कुछ विशेष रत्नों को पहना जाता है. लेकिन, असली या नकली रत्न पहचानना भी जरूरी है.

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रत्नों की पहचान रत्नों की पहचान

रोशन जायसवाल

  • हरिद्वार,
  • 04 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:14 AM IST

रत्न कोई भी हो अगर वह असली है तो ही वह लाभ प्रदान करेगा. फैक्ट्री में निर्मित व्यक्तित्व रत्न लाभ नहीं पहुंचाते हैं. यही धारा डायमंड को लेकर भी है. हीरा अगर असली है तो जीवन को बदल सकता है. मगर हीरा अगर फैक्ट्री में तैयार किया गया है तो उसका गलत प्रभाव आपके जीवन पर पड़ सकता है. नकली हीरे को पहनकर आप रेपुटेशन जरूर बना सकते हैं. लोगों के सामने दिखावा जरूर कर सकते हैं कि आपने भी हीरा पहना हुआ है. आइए जानते हैं हरिद्वार के पंडित ज्योतिषाचार्य शक्तिधर शास्त्री से कि रत्न क्या है और इसका जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है. 

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पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि जब मनुष्य किसी भी ग्रह से संबंधित रत्न धारण करता है तो उसके लिए उस रत्न की शुद्धता सबसे ज्यादा महत्व रखती है. आजकल आप देखते हैं कि शहरों में जगह-जगह पर लैबोरेट्रीज खुली हैं. व्यक्ति जितने भी रत्न पहनता है वे सारे टेस्टेड होते हैं. ये लैबोरेट्रीज एक कार्ड भी देती हैं जो रत्नों की शुद्धता का प्रतीक होता है. 

रत्न का मनुष्य के जीवन में पर प्रभाव  

असली रत्न किसी ग्रह की किरणों और शक्ति को शरीर के अंदर अवशोषित करने का का करता है. यानी कि ग्रहों की जो किरणें हैं वो रत्न के माध्यम से लाभ या हानि पहुंचाती हैं. अक्सर हीरे को भी लाभ के लिए ही पहना जाता है. ज्यादातर वृष राशि के लोग या तुला राशि के लोग डायमंड धारण करते हैं. जिनकी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है या जिनको सभी तरह की सुख और समृद्धि चाहिए होती है. असली डायमंड पहनने से लाभ होगा, नकली पहनने से तो सिर्फ दिखावा ही कर सकते हैं. ऑस्ट्रिया या क्यूबा जैसे कई देश ऐसे हैं जो बहुत हीट देकर हीरे को बनाते हैं. लेकिन, वह हीरा सिर्फ देखने में ही अच्छा लगता है. उसका लाभ नहीं पहुंचता है. 

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असली रत्न की पहचान

पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि उपरत्न आर्टिफिशियल बनाया जा सकता है. जैसे, पुखराज उपरत्न है जिसका नाम सुनहला है. वह 20, 25, 50 से ₹200 में भी आ जाता है. लेकिन, असली वो पुखराज है जो डेढ़ लाख से दो लाख तक का आता है. असली रत्न का मखमली एहसास होता है. असली रत्न की और नकली रत्न की पहचान आराम से की जा सकती है. जैसे कि मूंगा अगर नकली है तो पानी की एक बूंद उसके ऊपर स्थिर नहीं रहेगी. वहीं असली मूंगा के ऊपर एक बूंद पानी की रखिए तो बूंद नहीं हिलेगी. मूंगा पानी को स्टेबल कर देता है. ठीक इसी प्रकार हीरे की एक पहचान होती है. असली हीरे पर मोमबत्ती की एक बूंद टपका दीजिए और अंधेरे में रख दीजिए. वह वहां भी चमक देता रहेगा. नकली हीरे पर आप जैसे ही मोम की एक बूंद टपकाएंगे तो उसमें बिल्कुल चमक नहीं आएगी. 

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री

पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि ग्रहों का असर इन रत्नों के ऊपर ही सबसे ज्यादा होता है. जो असली रत्न हैं वह बहुत लाभकारी होते हैं. ग्रहों और कुंडली के आधार पर बड़े-बड़े ज्योतिषि रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. अगर महादशा के अनुसार कोई रत्न बताया जाए तो उस रत्न का असर भी जातक के जीवन पर जल्दी पड़ता है. 

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राशिनुसार इन रत्नों का प्रभाव

पंडित शक्तिधर शास्त्री का कहना है कि राशि के अनुसार डायमंड पहनना अच्छा माना जाता है. प्लेनेटरी पोजिशन भी बताती है कि कौन सा रत्न आपके लिए फायदेमंद होता है और कौन सा नहीं. अगर आप असली हीरा पहनते हैं तो लाभ होगा. नकली हीरा पहनने से कोई लाभ नहीं होगा. केवल आप शादी, विवाह समारोह में लोगों को दिखाने के लिए एक अपनी रेपुटेशन बनाने के लिए नकली हीरा पहन सकते हैं. शास्त्रों का कहना है कि अगर कुंडली में दोष के हिसाब से हीरा पहना जाए तो उसका लाभ आवश्य प्राप्त होगा.

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