Premanand Maharaj: सत्संग का बहाना लेकर मोबाइल पर रील देखने की आदत आजकल बहुत आम होती जा रही है. कई लोग कहते हैं कि वे प्रवचन या सत्संग सुनने के लिए मोबाइल उठाते हैं, लेकिन कुछ ही देर में उनका ध्यान भटक जाता है और वे मनोरंजन की रीलों, वीडियो या अन्य व्यर्थ के कंटेट में खो जाते हैं. इसी आदत से परेशान होकर एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से सलाह मांगी. महाराज जी ने कहा कि मोबाइल रखना बुरा नहीं है, लेकिन उस पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.
मोबाइल एक उपयोगी साधन है, पर यदि उस पर नियंत्रण न रखा जाए तो वही साधन मन को विचलित कर देता है. उन्होंने कहा कि जब भी मोबाइल उठाओ, पहले यह तय कर लो कि मुझे क्या देखना है. यदि सत्संग सुनना है, तो केवल वही सुनो और जैसे ही समाप्त हो जाए, तुरंत मोबाइल बंद कर दो. लगातार स्क्रीन पर न चलाओ, क्योंकि इससे ही मन भटकता है.
आत्मसंयम सबसे बड़ा उपाय
महाराज जी ने समझाया कि आत्मसंयम ही सबसे बड़ा उपाय है. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति में इतनी शक्ति होती है कि वह अपने मन को नियंत्रित कर सके. बस थोड़ी हिम्मत और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है. यदि हम यह ठान लें कि हमें केवल सकारात्मक, ज्ञानवर्धक और आध्यात्मिक कंटेट ही देखना है, तो धीरे-धीरे हमारा मन भी उसी दिशा में ढल जाएगा.
एकाग्रता को भंग ना होने दें
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि मोबाइल को अपने ऊपर हावी मत होने दो. जरूरत पूरी होते ही मोबाइल बंद कर दो, और यदि संभव हो तो स्विच ऑफ कर दो ताकि मन को शांति मिले. संयम में रहकर ही व्यक्ति जीवन में संतुलन पा सकता है. बिना नियंत्रण के मोबाइल न केवल समय नष्ट करता है, बल्कि मन की शुद्धता और एकाग्रता भी भंग कर देता है.
सच्चे सत्संग की पहचान
अंत में उन्होंने कहा कि यदि मन में भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति है, तो उसका प्रमाण केवल सत्संग सुनना नहीं, बल्कि उसमें बताए मार्ग पर चलना है. संयम, नियंत्रण और आत्मविकास ही सच्चे सत्संग की पहचान है. यदि हम इन बातों को जीवन में उतार लें, तो न केवल मोबाइल का दुरुपयोग रुकेगा बल्कि मन भी शांति और आनंद से भर जाएगा.
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