Pradosh Vrat 2025: साल का आखिरी प्रदोष व्रत कल, जानें पूजन विधि, नियम और दिव्य मंत्र

Pradosh Vrat 2025: पौष कृष्ण त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर को रात 11.57 बजे शुरू होगी. इसका समापन 18 दिसंबर को रात 02.32 बजे होगा. ऐसे में साल का आखिरी प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को यानी कल रखा जाएगा.

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जब प्रदोष बुधवार को पड़ता है तो इस बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. (Photo: Pixabay) जब प्रदोष बुधवार को पड़ता है तो इस बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. (Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

Pradosh Vrat 2025: सनातन परंपरा में हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन शिव भक्ति से तमाम दोष दूर हो जाते हैं. जब प्रदोष बुधवार को पड़ता है तो इस बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन व्रत करके बुध से जुड़ी परेशानियों को समाप्त किया जा सकता है और धन संबंधी इच्छाएं पूर्ति हो सकती हैं. साल 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को रखा जाएगा.

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हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष कृष्ण त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर को रात 11.57 बजे शुरू होगी. इसका समापन 18 दिसंबर को रात 02.32 बजे होगा. ऐसे में साल का आखिरी प्रदोष व्रत 17 दिसंबर को यानी कल रखा जाएगा.

बुध प्रदोष व्रत की पूजन विधि
प्रदोष व्रत में दिनभर फल या जल ग्रहण कर उपवास रखें. खाम के समय प्रदोष काल में सफेद वस्त्र पहनकर भगवान शिव की पूजा करें. भगवान को बेलपत्र, भांग, धतूरा जैसी हरी सामग्री अर्पित करें. शिवलिंग पर रूद्राक्ष, भस्म आदि अर्पित करना भी लाभकारी होगा. इसके बाद शिव-पार्वती के मंत्रों का जप करें. आप 'ॐ उमामहेश्वराभ्याम नमः' और 'ॐ गौरीशंकराय नमः' मंत्र का जाप कर सकते हैं. पूजा-पाठ के बाद गरीब लोगों में प्रसाद बांट दें. आप चाहें तो सामर्थ्य के अनुसार, खाने या जरूरत में आने वाली चीजों का दान भी कर सकते हैं.

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प्रदोष  व्रत की सावधानियां
प्रदोष व्रत के उपवास में केवल फल या जल ही ग्रहण करें. अन्न से दूरी रखें. शिवजी की एकल पूजा करने की बजाए पार्वती के साथ संयुक्त उपासना करें. भगवान को केतकी या केवड़ा पुष्प न चढ़ाएं. यदि व्रत न रखें तो सात्विक भोजन ही करें. इस दिन घर में तामसिक चीजें जैसे कि लहसुन प्याज आदि का सेवन बिल्कुल करें. घर में अंडा, मांस, मछली आदि न बनाएं.

बुध मंत्र जाप विधि
बुध प्रदोष व्रत में प्रतिदिन सुबह रुद्राक्ष की माला से बुध मंत्र का जाप करें. इस दिन हरे वस्त्र धारण करना श्रेष्ठ माना गया है. विष्णु जी के सामने कम से कम तीन महीने तक “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” मंत्र का नियमित जप करें.

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