Paush Month 2025: सूर्यदेव और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए पौष माह में करें ये काम, ना करें ये एक गलती

Paush Month 2025:पौष माह हिंदू पंचांग का दसवां महीना है, जिसे अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है. यह समय देवताओं और पितरों दोनों को प्रसन्न करने वाला माना गया है. इस माह का नाम ‘पुष्य नक्षत्र’ से जुड़ा है.

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पौष माह तप, साधना और शुद्ध आचरण का महीना है. पौष माह तप, साधना और शुद्ध आचरण का महीना है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

Paush Maas 2025 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का दसवां महीना पौष, अत्यंत शुभ माना जाता है. यह वह महीना है जब देवताओं की कृपा और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. पौष मास सूर्य देव, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है. पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में पौष मास 5 दिसंबर 2025 (शुक्रवार) से आरंभ होकर 3 जनवरी 2026 (शनिवार) तक चलेगा. इस पूरे समय में स्नान, दान, पूजा, पितृ-तर्पण और सूर्योपासना का विशेष महत्व बताया गया है. पौष माह में कुछ गलतियों से बचना भी बेहद जरूरी है. जानते हैं उनके बारे में और ये भी जानेंगे कि इस खास महीने में सूर्य देव और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय के बारे में भी जानेंगे. 

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पौष माह में भूलकर भी न करें ये गलतियां

पौष माह तप, साधना और शुद्ध आचरण का महीना माना जाता है. इस पवित्र समय में कुछ कार्य बिल्कुल नहीं करने चाहिए, क्योंकि ये आध्यात्मिक ऊर्जा को बाधित कर सकते हैं और अशुभ फल दे सकते हैं. 

1. मांगलिक कार्य न करें

पौष मास में मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार जैसे मांगलिक और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. क्योंकि इस समय सूर्य धनु राशि में रहते हैं, जिससे खरमास चलता है. इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्य शुभ फल नहीं देते. 

2. अधिक नमक और तामसिक भोजन से परहेज 

इस माह में हल्का, सात्त्विक और पवित्र भोजन करने की सलाह दी जाती है. पौष माह को शुद्ध आचरण का समय माना गया है. इसलिए मांसाहार, शराब या किसी भी तरह के नशे का सेवन बिल्कुल वर्जित है. शास्त्रों में पौष मास में कुछ चीजों का परहेज बताया गया है, जैसे मूली, बैंगन, उड़द दाल,फूलगोभी, मसूर दाल, तले हुए व्यंजन, चीनी का अत्यधिक सेवन, इनका सेवन इस अवधि में शुभ नहीं माना जाता. 

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5. बुरे विचार और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें

पौष माह मन को शुद्ध करने का समय है. इसलिए क्रोध, लालच, ईर्ष्या, कटु वचन बोलना, बुरे विचार से खुद को दूर रखना चाहिए. 

पौष माह में क्या करें?

हर सुबह सूर्यदेव की उपासना करें. स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन और लाल फूल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय सच्चे मन से “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र जपें. रविवार का व्रत रखें. सूर्यदेव के लिए व्रत का संकल्प करें.  शाम को मीठा भोजन कर व्रत पारण करें.  दान-पुण्य करें. जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े दें.  तिल, गुड़ और तिल-चावल की खिचड़ी का दान शुभ माना जाता है. पितरों का तर्पण करें. पौष अमावस्या या अन्य शुभ दिनों में तर्पण से पितृदोष दूर होता है.  पितर प्रसन्न होते हैं.  विष्णु जी और मां लक्ष्मी की पूजा करें.  इससे घर में धन, सुख और सौभाग्य बढ़ता है. 

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