ओणम त्योहार दक्षिण भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है. खास बात है कि यह खास त्योहार एक या दो नहीं बल्कि 10 दिनों तक चलता है. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो दानवीर राजा बली के सम्मान में यह त्योहार मनाया जाता है. लोग इस दिन विष्णु भगवान और महाबली की पूजा करते हैं. वहीं कुछ लोग खेतों में अच्छी फसल की कामना के साथ भी इस त्योहार को मनाते हैं. ओणम को मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहा जाता है.
ओणम त्योहार इस साल 6 सितंबर यानी आज से शुरू हो गया है जिसका समापन यानी पर्व का आखिरी दिन 15 सितंबर 2024 को होगा. 15 सितंबर के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.
ओणम का महत्व
चिंगम महीने में ओणम का त्योहार मनाया जाता है. मलयालम लोग चिंगम को साल का पहला महीना मानते हैं. वहीं अगर हिंदू कलैंडर के मुताबिक देखें तो चिंगम महीना अगस्त या सितंबर का होता है. ओणम के हर दिन का एक खास महत्व हैं. इस त्योहार में लोग अपने घरों को 10 दिनों तक फूलों से सजा कर रखते हैं और विधि विधान से भगवान विष्णु और महाबली की पूजा करते हैं. ओणम का यह त्योहार नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है.
क्यों मनाते हैं ओणम?
हालांकि, ओणम मनाने के कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक मान्यता के अनुसार, यह त्योहार दानवीर असुर राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लेकर बलि के घमंड को तोड़ा था, लेकिन उसकी वचनबद्धत्ता को देखने के बाद भगवान विष्णु ने पाताल लोक का राजा बना दिया था. दक्षिण भारत के लोग यह मानते हैं कि ओणम के पहले दिन राजा बलि पाताल लोक से धरती पर आते हैं और अपनी प्रजा का हाल चाल लेते हैं.
कैसे होते हैं ओणम के 10 दिन
1. पहला दिन (अथम)- त्योहार के पहले ही दिन सुबह के समय स्नान करने के बाद मंदिर जाकर भगवान की पूजा की जाती है. नाशते में केला पापड़ आदि सब खाया जाता है. इसके बाद लोग ओणम पुष्पकालीन या पकलम बनाते हैं.
2. दूसरा दिन (चिथिरा)- ओणम के दूसरे दिन महिलाएं पुष्पकालीन में नए फूलों को जोड़ने का कार्य करती हैं. वहीं पुरुष इन सभी फूलों को घर लाते हैं.
3. तीसरा दिन (विसाकम)- ओणम का तीसरा दिन काफी ज्यादा खास होता है. इस दिन थिरुवोणम यानी ओणम के 10वें दिन के लिए मुख्य खरीदारियां करने का महत्व है.
4. चौथा दिन (विसाकम)- ओणम के चौथे दिन कई जगहों पर फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिताएं होती हैं. वहीं 10वें दिन के लिए अचार और आलू चिप्स जैसी चीजें तैयार की जाती हैं.
5. पांचवां दिन (अनिजाम)- ओणम के पांचवें दिन नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. इस नौका दोड़ को केरला में वल्लमकली के नाम से जाना जाता है.
6. छठा दिन (थिक्रेता)- ओणम के छठे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. दोस्तों और रिश्तेदारों का त्योहार की बधाई भी दी जाती है.
7. सातवां दिन (मूलम)- ओणम का सातवां दिन भी खास होता है. सातवें दिन बाजार तरह-तरह के सामान और खान-पान की चीजों से सजे रहते हैं. इस दिन लोग भी घरों में खास पकवान और व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं.
8. आठवां दिन (पूरादम)- आठवें दिन लोग मिट्टी से पिरामिड के आकार की मूर्तियां बनाते हैं. का निर्माण करते हैं. इन मूर्तियों को मां कहा जाता है और इन पर पुष्प भी अर्पित किए जाते हैं.
9. नौवां दिन (उथिरादम)- ओणम का नौवां दिन प्रथम ओणम कहा जाता है. इस दिन लोग राजा महाबलि के आने का इंतजार करते हैं.
10. दसवां दिन (थिरुवोणम)- आखिरी दिन सबसे खास होता है. राजा बलि धरती पर आते हैं. इस दिन फूलों की कालीन बनाई जाती है. थाली में पकवान सजाए जाते हें. यह दिन दूसरा ओणम के नाम से भी प्रसिद्ध है.
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