नवरात्र के चौथे दिन नवदुर्गा के चौथे स्वरूप के रूप में मां दुर्गा की पूजा माता कूष्मांडा के रूप में की जाती है. चौथे नवरात्र को शारदीय शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को माता कूष्मांडा का पूजन होता है. इस दिन भक्त भोग में मिठाई, फल और मालपुआ अर्पित करते हैं. मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली दिव्य शक्ति है. इसलिए इन्हें अष्ठभुजा देवी भी कहा जाता है.
मां का नाम कूष्मांडा क्यों पड़ा?
ऐसी मान्यता है कि उन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड बनाया था. इसलिए उन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है. सृष्टि के आरम्भ में अंधकार था, जिसे मां ने अपनी हंसी से दूर किया. कूष्मांडा देवी में सूर्य की गर्मी सहने की शक्ति है. इसलिए, उनकी पूजा करने से भक्तों को शक्ति और ऊर्जा मिलती है.
बुध ग्रह से है संबध
ज्योतिष में मां कूष्मांडा का संबध बुध ग्रह से है. इसलिए माता का ये रूप बुद्धि का वरदान देती हैं. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से बुध ग्रह कंट्रोल होता है.
मां कूष्मांडा का भोग
मां कूष्मांडा की पूजा में विशेष रूप से पीले रंग का केसर वाला पेठा चढ़ाना शुभ माना जाता है. कुछ लोग इस अवसर पर सफेद पेठे के फल की भी चढ़ातें हैं. इसके अलावा मालपुआ और बताशे भी मां कूष्मांडा को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं.
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद मां कूष्मांडा के व्रत का संकल्प लें. सबसे पहले गंगाजल से पूजा के स्थान को पवित्र करें और फिर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर मां की प्रतिमा स्थापित करें और मां कूष्मांडा का ध्यान करें. पूजा में पीले वस्त्र, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य और अक्षत अर्पित करें. सारी सामग्री अर्पित करने के बाद मां की आरती करें और भोग लगाएं. अंत में क्षमा याचना करें और ध्यान लगाकर दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें.
मां कुष्मांडा का पूजा मंत्र : ऊं कुष्माण्डायै नम:
बीज मंत्र: कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
ध्यान मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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