Nag Diwali 2025 Date:हिंदू धर्म में अनेकों पर्व-त्योहारों मनाए जाते हैं, इन त्योहारों में ना केवल देवी-देवताओं की बल्कि प्रकृति, पशु-पक्षियों और सर्पों की पूजा भी की जाती है. इन्हीं विशेष उत्सवों में से एक है नाग देवता को समर्पित नाग दिवाली. इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. दीपावली और देव दीपावली जितनी लोकप्रिय और व्यापक रूप से मनाई जाती है, नाग दिवाली उतनी प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व बेहद गहरा है.
नाग दिवाली का स्वरूप नाग पंचमी से मिलता-जुलता है, जो सावन महीने में मनाई जाती है. जिस तरह नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है, उसी तरह नाग दिवाली भी नाग देवता के प्रति सम्मान, श्रद्धा और आस्था दिखाने का पर्व है. नाग देवता को पाताल लोक का अधिपति माना गया है, माना जाता है कि वे संसार के संतुलन और रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
यह अनोखा त्योहार देशभर में नहीं मनाया जाता, कुछ विशेष क्षेत्रों में इसकी प्राचीन परंपरा आज भी जीवित है. उत्तराखंड के चमोली जिले और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में यह पर्व बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है. इन क्षेत्रों में नाग पूजा की लोक-परंपरा सदियों पुरानी है. लोग इसे अपने कुल-देवता के रूप में भी मानते हैं. जानते हैं 2025 में नाग दिवाली कब मनाई जाएगी.
नाग दिवाली 2025 कब
नाग दिवाली का पर्व देव दिवाली के लगभग 20 दिन बाद मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार यह उत्सव हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है. वर्ष 2025 में यह मंगलवार, 25 नवंबर 2025 को पड़ेगा. इसी दिन विवाह पंचमी का पर्व भी मनाया जाएगा, जिससे यह तिथि और भी अधिक शुभ और विशेष बन जाती है.
क्यों मनाते हैं नाग दिवाली
श्रावण मास में मनाई जाने वाली नाग पंचमी की तरह ही नाग दिवाली का दिन भी नाग देवता की आराधना के लिए अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है. यह सिर्फ एक पूजा भर नहीं, बल्कि प्रकृति, आस्था और प्रकाश से जुड़ा हुआ एक अनोखा उत्सव है. मान्यताओं में नागों को सृष्टि के संतुलन के रक्षक और दिव्य शक्तियों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. इस दिन भक्त विशेष नियमों का पालन करते हुए व्रत रखते हैं. प्रातःकाल शुद्ध जल, दूध, कुशा और पुष्प के साथ नाग देवता का अभिषेक करते हैं. जिन स्थानों पर नाग देवता के मंदिर या देवस्थान मौजूद नहीं होते, वहां लोग मिट्टी, गोबर या आटे से नाग देवता की आकृति बनाकर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. यह परंपरा विशेष रूप से ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी निभाई जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग दिवाली के दिन की गई पूजा से वंश वृद्धि, पारिवारिक उन्नति, संतान-सुख, और घर-परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है. कई लोग इस दिन विशेष रूप से कालसर्प दोष निवारण के लिए भी प्रार्थना करते हैं. माना जाता है कि नाग देवता की कृपा से जीवन की सारी परेशानियां दूर होते हैं. ग्रहदोष शांत होते हैं. साथ ही, घर में दीपक जलाने और दान-पुण्य करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. ऐसा विश्वास है कि नाग दिवाली का पर्व व्यक्ति, परिवार और प्रकृति इन तीनों के बीच संतुलन और सामंजस्य बनाए रखता है.
नाग देवता की पूजा के लाभ
पौराणिक व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नागों को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है. इसलिए हिंदू धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व होता है. नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. कुंडली में स्थित कालसर्प दोष भी दूर होता है.वंश वृद्धि और पारिवारिक जीवन में खुशहाली के लिए भी लोग नाग देवता की पूजा करते हैं.
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