Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी पर 4 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी पर चार साल बाद एक शुभ संयोग भी बन रहा है. वैशाख माह की एकदशी इस बार गुरुवार के दिन पड़ रही है. वैशाख, एकादशी और गुरुवार तीनों के स्वामी भगवान विष्णु हैं. इससे पहले ये शुभ संयोग 26 अप्रैल 2018 को बना था. ऐसा योग अब 8 मई 2025 को बनेगा.

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Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी पर 4 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी पर 4 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2022,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST
  • मोहिनी एकादशी पर 4 साल बाद अद्भुत संयोग
  • अब 3 साल बाद आएगी ऐसी शुभ घड़ी

Mohini Ekadashi 2022: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है. मोहिनी एकादशी पर चार साल बाद एक शुभ संयोग भी बन रहा है. वैशाख माह की एकदशी इस बार गुरुवार के दिन पड़ रही है. वैशाख, एकादशी और गुरुवार तीनों के स्वामी भगवान विष्णु ही माने जाते हैं. इससे पहले ये शुभ संयोग 26 अप्रैल 2018 को बना था. ऐसा योग अब 8 मई 2025 को बनेगा. वैशाख एकादशी इस बार 12 मई को मनाई जाएगी.

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इस बार क्यों खास है एकादशी?
इस साल वैशाख एकादशी पर सूर्य और चंद्रमा के नक्षत्रों से रवियोग का निर्माण हो रहा है. साथ ही उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र से मातंग नाम का शुभ योग और हर्षण योग भी रहेगा. एकादाशी पर ऐसा बहुत कम बार देखने को मिलता है. इस दुर्लभ संयोग में एकादशी की पूजा का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है. इस दौरान धनधान्य में वृद्धि के उपाय पूर्ण रूप से सफल होते हैं. घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और कई गुना पुण्य मिलता है.

मोहिनी एकादशी पर पूजा
मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा का विधान है. भगवान विष्णु ने यह रूप समुद्र मंथन के बाद राक्षसों से अमृत को बचाने के लिए लिया था. मोहिनी एकादशी पर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से कई यज्ञों को करने जितना पुण्य प्राप्त होता है. इंसान से अंजाने में हुई पापों का प्राश्यचित करने के लिए भी यह घड़ी बेहद शुभ होती है.

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मोहिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
वैशाख माह की एकादशी तिथि बुधवार, 11 मई 2022 को शाम 7 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ होकर गुरुवार, 12 मई 2022 को शाम 6 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. इस दौरान आप किसी भी शुभ पहर में भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा कर सकते हैं.

 

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