Narendra Giri death: महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को कराया जाएगा संगम स्नान, जानें वजह

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरी महाराज के पार्थिव शरीर को समाधि दिए जाने से पहले स्नान कराने के लिए संगम लाया जाएगा.

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महंत नरेंद्र गिरी महंत नरेंद्र गिरी

उदय गुप्ता

  • प्रयागराज,
  • 22 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST
  • बाघंबरी गद्दी के बगल में दी जाएगी भू समाधि
  • नगर भ्रमण के बाद संगम पहुंचेगा पार्थिव शरीर

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि महाराज के पार्थिव शरीर को समाधि दिए जाने से पहले स्नान कराने के लिए संगम लाया जाएगा. इसके लिए संगम नोज पर तैयारियां चल रही हैं. महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को संगम स्नान कराने के बाद लेटे हनुमान मंदिर भी ले जाया जाएगा, जहां के वे महंत थे. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को वापस बाघंबरी मठ ले जाया जाएगा. जहां विधि विधान से उन्हें भू समाधि दी जाएगी.

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इसलिए कराया जाता है संगम स्नान 
महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को संगम स्नान करने के पीछे भी विशेष कारण है. विद्वानों के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाये या पंचक के दौरान मृत्यु हो जाये तो उन्हें गंगा स्नान कराने या मुख में गंगाजल और तुलसी डालने से सभी दोष मुक्त हो जाते हैं. महंत नरेंद्र गिरि की भी अकाल मृत्यु हुई है और मृत्यु के समय के दौरान पंचक भी लगा हुआ था. विद्वानों के अनुसार इसलिए महंत के पार्थिव शरीर को संगम में स्नान कराना और भी आवश्यक माना जा रहा है.

संगम से गहरा रिश्ता 
प्रयागराज तीर्थ के पुरोहित दीपू मिश्रा ने बताया कि यहां प्रशासन की तरफ से व्यवस्था की गई है कि महाराज नरेंद्र जी महाराज का पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम कराने के बाद नगर भ्रमण कराते हुए संगम क्षेत्र में लाया जाएगा. उनका संगम से बहुत ही गहरा रिश्ता था और वह इस क्षेत्र के विकास के लिए काफी कुछ सोचते थे. महाराज जी की अकाल मृत्यु हुई है, ऐसी स्थिति में उनको यहां त्रिवेणी संगम में स्नान कराया जाएगा. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को त्रिवेणी में स्नान कराकर मुख में जल व तुलसी डालकर फिर बाघंबरी गद्दी में उनके गुरु जी के बगल में समाधि दी जाएगी. जैसे कि उनकी इच्छा थी.

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दी जाएगी भू समाधि 
भू समाधि के महात्म्य के संदर्भ में पुरोहित दीपू मिश्रा ने बताया कि जो संत महात्मा, साधु संन्यासी होते हैं उनको जल समाधि दी जाती है. जबकि आम लोगों को मुखाग्नि दी जाती है. दो व्यवस्थाएं हैं. हम लोगों ने बचपन में देखा है कि पहले जल समाधि हुआ करती थी, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद गंगा यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अब मूर्ति भी विसर्जित नहीं की जाती है, तो शव कैसे विसर्जन होगा. जल समाधि को बंद कर दिया गया है और अब भू समाधि दी जाती है. महाराज जी की इच्छा भी भू समाधि की थी और उन्होंने यह भी कहा था कि मठ बाघंबरी  में हमारे गुरु जी की समाधि के ठीक बगल में उनकी समाधि बनाई जाए. तो उनकी इच्छा के अनुसार उनके शिष्यों द्वारा यह व्यवस्था की जा रही है.

 

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