गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर हर साल लगने वाला माघ मेला शुरू होने वाला है. इस बार 3 जनवरी से 15 फरवरी 2026 तक चलने वाला यह पवित्र आयोजन 44 दिनों तक श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति कराएगा. मेला का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कल्पवास होता है. इसकी अवधि पंचांग की गणना के आधार पर निर्धारित की जाती है. कल्पवासियों और लाखों भक्तों के लिए यह अवधि तपस्या, साधना, संयम और आत्मशुद्धि का अद्वितीय समय माना जाता है.
29 दिनों का होगा कल्पावास
माघ मेला 2026 की शुरुआत 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान से होगी. इसका समापन 15 फरवरी को महाशिवरात्रि स्नान के साथ होगा. यह पूरा कालखंड धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माना जाता है. इसी दौरान संगम तट पर कल्पवासियों की भीड़ उमड़ती है.कल्पवास माघ मेले की आत्मा माना जाता है.कल्पवासी साधारण टेंटों और झोपड़ियों में रहते हैं.कल्पवासी प्रतिदिन गंगा स्नान करते हैं. मंत्रजाप, कीर्तन, प्रवचन और साधना में लीन रहते हैं.सांसारिक भोगों से दूर रहकर आध्यात्मिक जीवन का अभ्यास करते हैं.
पंचांग के अनुसार इस बार कल्पवास 29 दिनों का रहेगा. इन दिनों संगम तट पर लगने वाले टेंट सिटी लगभग 800 हेक्टेयर में बसाई जा रही है.
शाही स्नान: आस्था का सबसे बड़ा आकर्षण
माघ मेला अपने शाही स्नानों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. पिछले वर्ष महाकुंभ में भी शाही स्नान देखने और डुबकी लगाने लाखों श्रद्धालु उमड़े थे. शाही स्नान के दिन अखाड़ों के साधु-संत संगम तट की ओर भव्य शोभायात्रा निकालते हैं और पारंपरिक विधि-विधान के साथ पवित्र डुबकी लगाते हैं.
माघ मेले के छह प्रमुख स्नान
3 जनवरी – पौष पूर्णिमा: मेला और कल्पवास का शुभारंभ
14 जनवरी – मकर संक्रांति: सूर्य के उत्तरायण होने पर पवित्र स्नान
18 जनवरी – मौनी अमावस्या: सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण स्नान
23 जनवरी – वसंत पंचमी: सरस्वती पूजा और शुभ स्नान
1 फरवरी – माघी पूर्णिमा: कल्पवासियों का मुख्य स्नान
15 फरवरी – महाशिवरात्रि: अंतिम स्नान और मेले का समापन
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