Kapaleshwar Mandir: शिवजी का इकलौता मंदिर जहां नंदी नहीं हैं विराजमान, पढ़ें कपालेश्वर धाम की कहानी

Kapaleshwar Mandir: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद इस मंदिर का भी खास महत्व है. यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शिव के वाहन नंदी स्थापित नहीं हैं. ब्रह्महत्या का पाप लगने के बाद भगवान शिव ब्रह्मांड में जगह जगह मुक्ति की तलाश में घूमते रहे, परंतु उन्हें कहीं भी मुक्ति नहीं मिली थी.

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भगवान शिव और नंदी (PC: AI Generated/Representative Image) भगवान शिव और नंदी (PC: AI Generated/Representative Image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Kapaleshwar Mandir: सावन का महीना इस समय अपने अंतिम चरण में है. इस पावन माह में शिवभक्त व्रत, पूजा और जलाभिषेक के जरिए भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. सात ही देशभर के प्रसिद्ध शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हर शिव मंदिर में एक खास बात होती है, लेकिन महाराष्ट्र के नासिक में स्थित कपालेश्वर मंदिर की बात ही कुछ अलग है. यहां भगवान शिव की पूजा तो होती है, लेकिन अनोखी बात यह है कि इस मंदिर में शिवलिंग के सामने नंदी महाराज विराजमान नहीं हैं.

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कपालेश्वर मंदिर कहां स्थित है?

कपालेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक के गोदावरी नदी के किनारे रामकुंड क्षेत्र में स्थित है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद इस मंदिर के दर्शन का भी खास महत्व है. यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शिव के वाहन नंदी स्थापित नहीं हैं.

क्यों नहीं हैं यहां नंदी महाराज?

पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी के पांच मुख थे और वह अपने चार मुख से वेदों का पाठ करते थे. लेकिन पांचवां मुख सदैव निंदा करता था. यह देखकर एक बार भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने उस निंदा करने वाले मुख को काट दिया. इस वजह से उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लग गया.

ब्रह्महत्या का पाप लगने के बाद भगवान शिव ब्रह्मांड में जगह-जगह मुक्ति की तलाश में घूमते रहे. लेकिन उन्हें कहीं भी मुक्ति नहीं मिली. ऐसे में जब वे सोमेश्वर पहुंचे तो एक बैल उनके पास आया और उन्हें रामकुंड में स्नान करने की सलाह दी और भगवान शिव को उसका मार्ग भी दिखाया. माना जाता है कि वह बैल नंदी थे.

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शिव ने नंदी को माना गुरु

ब्रह्महत्या से पाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव ने नंदी की बात मानी और रामकुंड में स्नान कर लिया. स्नान करते ही उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई. यह दृश्य देखकर शिव ने बेहद प्रसन्न होकर नंदी को केवल अपना वाहन ही नहीं, बल्कि अपना गुरु भी मान लिया. नंदी ने शिव को मार्ग दिखाया था. उनका मार्गदर्शन किया था. इसलिए शिव ने नंदी को अपना गुरु माना और अपने सामने बैठने से मना कर दिया था. यही वजह है कि कपालेश्वर मंदिर में नंदी विराजमान नहीं है. यहां नंदी गोदावरी के रामकुंड में स्थित है.

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