Hartalika Teej 2025: पति की लंबी उम्र के लिए व्रत, जानें हरतालिका तीज और करवा चौथ में क्या है अंतर

हरतालिका तीज का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में मनाया जाता है. जबकि करवा चौथ का व्रत पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में अधिक प्रसिद्ध है. दोनों ही व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखे जाते हैं. लेकिन कुछ बातें हैं जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती हैं.

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हरतालिका तीज और करवा चौथ (Photo: AI Generated) हरतालिका तीज और करवा चौथ (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

Hartalika Teej 2025: हिंदू धर्म में कई ऐसे कठोर व्रत हैं जो अपने पति की लंबी उम्र-अखंड सौभाग्य के लिए रखे जाते हैं. इनमें दो पर्व सबसे अहम हैं- हरतालिका तीज और करवा चौथ. हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस बार हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त यानी आज है. वहीं, करवा चौथ का व्रत इस बार 10 अक्टूबर को रखा जाएगा.

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हरतालिका तीज का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत, राजस्थान, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में मनाया जाता है. जबकि करवा चौथ का व्रत पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में अधिक प्रसिद्ध है. दोनों ही व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखे जाते हैं. लेकिन कुछ बातें हैं जो इन्हें एक दूसरे से अलग बनाती हैं.

हरतालिका तीज का व्रत (Hartalika Teej)

हरितालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. इसलिए, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए ये व्रत करती हैं. वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए इसे रखती हैं.

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इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं और उनकी सलामती की प्रार्थना करती हैं. साथ ही, शादीशुदा स्त्रियां 16 श्रृंगार करती हैं और लाल या हरे रंग के कपड़े पहनती हैं. माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की मूर्ति बनाकर विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं. पूरे दिन भजन-कीर्तन और पौराणिक कथा का श्रवण करती हैं.

इस व्रत में महिलाएं सुबह सरगी खाकर दिनभर निर्जला उपवास करती हैं. यानी न तो भोजन ग्रहण किया जाता है और न ही पानी पिया जाता है. रातभर जागरण करके भगवान शिव-पार्वती का स्मरण और पूजा की जाती है. इसके बाद अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.

करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth)

वहीं, करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है. ये व्रत भी पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में सुख पाने के लिए रखा जाता है. यह व्रत भी निर्जला ही रखा जाता है. दिनभर भूखी-प्यासी रहकर महिलाएं करवा माता की पूजा करती हैं. पूजा में गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत, रोली और फूल अर्पित किया जाता है. हलवा-पूरी का भोग भी लगाया जाता है. दिन के समय बैठकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं. रात को चांद निकलने के बाद व्रती महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से पानी पीती हैं और व्रत खोलती हैं.

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