Ganesh Chaturthi 2025 Puja Muhurat: आपके शहर में क्या है गणपति की स्थापना का शुभ मुहूर्त? नोट करें टाइमिंग

27 अगस्त को गणेश महोत्सव शुरू हो रहा है. 10 दिन तक चलने वाले इस महापर्व का समापन 6 अक्टूबर को अनंत चतुर्दशी पर होगा. ऐसे में गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की स्थापना से इस पर्व की शुरुआत होगी. देश के विभन्न शहरों में स्थापना का समय अलग हो सकता है.

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गणेश चतुर्थी 2025 (Photo: AI Generated) गणेश चतुर्थी 2025 (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:30 PM IST

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में हर साल बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत भादो शुक्ल चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा की स्थापना से होती है. और इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है. इस दौरान साधक भगवान गणेश को अपने घर लाते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्षी की चतुर्थी तिथि 27 अगस्त को है.

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गणपति प्रतिमा की स्थापना का मुहूर्त क्या है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, 27 अगस्त को गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर दोपहर को 1 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. यह समय गणपति की स्थापना और पूजा के लिए उत्तम रहेगा. हालांकि अलग-अलग शहरों के अनुसार भगवान गणेश  की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त थोड़ा अलग रहेगा.

पुणे-  सुबह 11:21 बजे से दोपहर 1:51 बजे चंडीगढ़-  सुबह 11:07 बजे से दोपहर 01:42 बजे
नई दिल्ली-  सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:40 बजे कोलकाता- सुबह 10:22 बजे से दोपहर 12:54 बजे
चेन्नई- सुबह 10:56 बजे से दोपहर 01:25 बजे मुंबई- सुबह 11:24 बजे से दोपहर 01:55 बजे
जयपुर -  सुबह 11:11 बजे से दोपहर 01:45 बजे बेंगलुरू- सुबह 11:07 बजे से दोपहर 01:36 बजे
हैदराबाद-  सुबह 11:02 बजे से दोपहर 01:33 बजे अहमदाबाद- सुबह 11:25 बजे से दोपहर 01:57 बजे
गुरुग्राम-  सुबह 11:06 बजे से दोपहर 01:40 बजे नोएडा- सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:39 बजे
   

गणेश स्थापना पूजा विधि (Ganesh Puja Vidhi)

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  • सबसे पहले घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें और उसे फूल, रंगोली व सजावटी वस्तुओं से सुंदर बनाएं.
  • शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की प्रतिमा को एक वेदी (चौकी) पर स्थापित करें. वेदी पर लाल या पीले वस्त्र बिछाएं.
  • पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, अक्षत (चावल) और फूल लेकर व्रत व पूजा का संकल्प करें. 
  • 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करते हुए गणपति बाप्पा का आह्वान करें. 
  • भगवान की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं. 
  • इसके बाद उन्हें नए वस्त्र, पुष्प और आभूषण पहनाएं. 
  • गणेश जी को उनका प्रिय भोग मोदक और लड्डू चढ़ाएं. साथ ही दूर्वा घास, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें.
  • अंत में पूरे परिवार के साथ गणपति जी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें.

गणेश जी को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धि विनायक” का स्वरूप माना गया. कहा जाता है कि इस दिन उनकी आराधना करने से हर कार्य में सफलता और समृद्धि मिलती है.

 

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