Diwali 2025: 62 साल बाद 2 दिन कार्तिक अमावस्या! जानें 20 या 21, कब मनाई जाएगी दिवाली

Diwali 2025: इस साल कार्तिक अमावस्या 2 दिन होने से दिवाली की तारीख को लेकर लोगों में बहुत कन्फ्यूजन है. कोई 20 तो कोई 21 अक्टूबर को दिवाली बता रहा है. आइए आज आपको दिवाली की सही तारीख और शुभ मुहूर्त बताते हैं.

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1963 में भी दो दिन अमावस्या के चलते दिवाली की तारीख में हुआ था कन्फ्यूजन. (Photo: AI Generated) 1963 में भी दो दिन अमावस्या के चलते दिवाली की तारीख में हुआ था कन्फ्यूजन. (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:03 PM IST

Diwali 2025 Kab Hai: दीप, रोशनी और खुशियों का पर्व दीपावली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की संयुक्त पूजा से धनधान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. हालांकि इस बार दीवाली की तारीख को लेकर लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है. कोई 20 अक्टूबर तो कोई 21 अक्टूबर को दिवाली बता रहा है. ज्योतिषविदों की मानें तो हिंदू पंचांग की गणना और सूर्यास्त के समय में सूक्ष्म अंतर के कारण यह कन्फ्यूजन पैदा हुआ है. आइए जानते हैं कि दिवाली का त्योहार कब मनाया जाएगा.

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दिवाली के लिए प्रदोष और निशीत काल जरूरी
इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 03:44 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्टूबर शाम 05:54 बजे तक रहने वाली है. दिवाली के लिए प्रदोष काल और निशीत काल का होना अनिवार्य है और यह दोनों ही मुहू्र्त 20 अक्टूबर को पड़ रहे हैं. जबकि 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि पहले ही समाप्त हो जाएगी. इसलिए दीवाली 20 अक्टूबर को मनाना ही उचित होगा. ज्योतिष गणना के अनुसार, दीवाली के त्योहार पर ऐसी स्थिति वर्ष 1962 और 1963 में भी बनी थी.

दीपावली पर कैसे करें लक्ष्मी गणेश का पूजन
दीपावली का पूजा लाल, पीले और चमकदार वस्त्र पहनकर करना उत्तम होता है. दिवाली की रात शुभ मुहूर्त में घर की पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक लकड़ी की चौकी रखें. इस चौकी पर लाल या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाएं. चौकी पर पहले प्रथम पूजनीय गणेश और फिर उनके दाहिनी ओर लक्ष्मी जी की प्रतिमा रखें. इसके बाद चौकी के चारों और गंगाजल का छिड़काव करें और पूजा-पाठ आरंभ करें.

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लक्ष्मी-गणेश के समक्ष एकमुखी दीपक जलाएं और फिर उन्हें फल, फूल, धूप, इत्र, मिठाई आदि अर्पित करें. इसके बाद वहीं बैठकर पहले भगवान गणेश और फिर मां लक्ष्मी जी की आरती उतारें. उनके मंत्रों का जाप करें. आखिर में शंख ध्वनि करें. इसके बाद घर की अलग-अलग जगहों को दीप जलाकर रोशन करें. घर की उत्तर दिशा में एक दीपक रखें. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर 5, 7 या 11 दीपक जलाएं. घर की छत, नल और तुलसी के पास भी दीपक जलाने की परंपरा है.

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