चाणक्य की इन नीतियों से बदल सकती है आपकी किस्मत, करें अमल

आचार्य चाणक्य ने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कई नीतियों का बखान किया है. अगर इंसान चाणक्य की उन नीतियों को अपने जीवन में उतार ले तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ सकता है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:13 AM IST

आचार्य चाणक्य ने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कई नीतियों का बखान किया है. अगर इंसान चाणक्य की उन नीतियों को अपने जीवन में उतार ले तो सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ सकता है. वहीं, चाणक्य की उन नीतियों का पालन करने वाले व्यक्ति को किसी तरह की दिक्कत का सामना भी नहीं करना पड़ता है, बल्कि वो विपरीत परिस्थितियों में भी गंभीर रूप से अपने पथ पर आगे बढ़ता है और कामयाबी हासिल करता है. आइए जानते हैं सफलता हासिल करने के लिए चाणक्य की उन नीतियों के बारे में... 

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चाणक्य कहते हैं कि किसी भी काम को शुरू करने से पहले आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि आप वो काम क्यों कर रहे हैं. उससे आपको क्या फायदा होगा. साथ ही यह भी पता होना जरूरी है कि आप उसमें किस हद तक सफल हो सकते हैं. चाणक्य कहते हैं कि अगर इन सवालों का जवाब आपके पास है तो आप अपने काम को ज्यादा लगन और विश्वास के साथ करते हैं और सफलता हासिल करते हैं.

आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने के लिए असफलता के डर को भगाना बेहद जरूरी बताया है. चाणक्य कहते हैं कि नाकामी का डर हावी हो जाने से इंसान कभी सफल नहीं हो सकता. साथ ही चाणक्य ये भी कहते हैं कि आपको अपनी प्लानिंग के बारे में किसी और से बात नहीं करनी चाहिए. इससे सामने वाला आपको नुकसान पहुंचा सकता है.

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आगे चाणक्य कहते हैं कि अपने दोस्त पर आंख बंद करके भरोसा न करें. चाणक्य कहते हैं कि मित्र के स्वार्थ की पूर्ति होते ही वो आपको हानि पहुंचाने की प्लानिंग करने लगता है. फिर आपकी मित्रता टूट भी जाती है.

वहीं, चाणक्य ने बताया है कि कामयाबी के लिए इंसान को अन्न, जल और मधुर वाणी को कभी त्यागना नहीं चाहिए. आगे चाणक्य कहते हैं कि ये चीजें आपको सफलता की ऊंचाई तक पहुंचाती है. साथ ही चाणक्य ये भी कहते हैं कि सफलता के लिए आपको अपने डर के ऊपर हावी होने का तरीका आना चाहिए. डर अगर आप पर हावी हो गया तो आप कभी सफल नहीं हो सकते.

इसके अलावा चाणक्य ये भी कहते हैं कि खुद की गलतियों से सीखने के बजाए हमें दूसरों की गलतियों को ध्यान से देखना चाहिए और उससे अपने जीवन में सुधार करना चाहिए. साथ ही चाणक्य कहते हैं कि आपकी ज्यादा ईमानदारी भी आपके लिए मुसीबत बन सकती है, इसलिए ईमानदारी उतनी ही हो जिससे किसी का नुकसान न हो.

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