चाणक्य नीति: मनुष्य को नष्ट करती है कठोर वाणी, ऐसे दूर हो जाता है समाज

चाणक्य ने कई नीतियों का वर्णन किया है जिसके आधार पर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है. चाणक्य नीति के 9वें अध्याय में आचार्य ने बताया है कि किस प्रकार कठोर वाणी मनुष्य को नष्ट कर देती है. आइए जानते हैं इस नीति के बारे में...

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Chanakya Niti in Hindi Chanakya Niti in Hindi

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र (Chanakya Niti) में सुख-दुख, धन, तरक्की, वैवाहिक जीवन समेत मनुष्य के जीवन से जुड़ी तमाम विषयों के बारे में बताया है. उन्होंने कई नीतियों का वर्णन किया है जिसके आधार पर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है. चाणक्य नीति के 9वें अध्याय में आचार्य ने बताया है कि किस प्रकार कठोर वाणी मनुष्य को नष्ट कर देती है. आइए जानते हैं इस नीति के बारे में...

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परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः ।
त एव विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत् ।।

चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि जो नीच पुरुष एक दूसरे के प्रति अन्तरात्मा को दुखदायक, मर्मों को आहत करने वाले वचन बोलते हैं, वे ऐसे ही नष्ट हो जाते हैं जैसे बांस में फंसकर सांप मारा जाता है.

यानी वाणी का घाव बहुत भयंकर होता है. बाणों से घायल व्यक्ति का घाव भर जाता है, कुल्हाड़ी से कटा हुआ जंगल फिर खिल उठता है, लेकिन कटु वचन कहकर वाणी से किया गया घाव दिल में सदा रहता है.

वह कभी नहीं भरता. इसलिए दूसरों को आहत करने वाले कठोर और कड़वे वचन कभी नहीं बोलने चाहिए. संसार में सब लोग मधुर भाषी लोगों का ही आदर और प्रेम करते हैं.

 

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