Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में किस स्वरूप में होगी मां की पूजा, जानें क्या है इनकी महिमा

Chaitra Navratri 2023: शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है. नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है. मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों के हर कष्ट हर लेती हैं. आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के नौ रूपों की क्या महिमा है.

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चैत्र नवरात्रि 2023 चैत्र नवरात्रि 2023

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

Chaitra Navratri 2023: देवी मां के पावन 9 दिनों का पर्व चैत्र नवरात्रि 22 मार्च यानी आज से शुरू हो चुका है. ये नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को रखे जाते हैं. 30 मार्च तक चलने वाले इन दिनों में मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ रूपों का बखान किया गया है. नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है. मान्यता है कि मां दुर्गा अपने भक्तों के हर कष्ट हर लेती हैं. आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के इन रूपों की क्या महीमा है. 

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नवरात्रि नवरात्रि के पहले दिन करें शैलपुत्री की पूजा 

मां दुर्गा पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं. ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम 'मशैलपुत्री' पड़ा. इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं. इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है. यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं. 

इनका पूजन मंत्र है : वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌। वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥ 

नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 

नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी. इस कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है. 
इनका पूजन मंत्र है : दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

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नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा

मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. नवरात्रि में तीसरे दिन इनकी पूजा होती है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है जिससे इनका यह नाम पड़ा. इनके दस हाथ हैं जिनमें वह अस्त्र-शस्त्र लिए हैं. हालांकि देवी का यह रूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है. 

इनका पूजन मंत्र है : पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ 

नवरात्रि के चौथे दिन करें कुष्माण्डा की पूजा 

नवरात्रि पूजन के चौथे दिन देवी के कुष्माण्डा स्वरूप की ही उपासना की जाती है. मान्यता है कि उन्होंने अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था. इनकी आठ भुजाएं हैं. अपने सात हाथों में वह कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा लिए हैं. उनके आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. 

इनका पूजन मंत्र है : सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की आराधना 

नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है. माना जाता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम से जाना जाता है. यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है. 
इनका पूजन मंत्र है : सिंहसनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥ 

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नवरात्रि के छठवें दिन कात्यायनी की पूजा 

मां दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है. इनकी उपासना से भक्तों को आसानी से अर्थ (धन), धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. महर्षि कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति की इच्छा से मां भगवती की कठिन तपस्या की. तब देवी ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया. जिससे इनका यह नाम पड़ा. भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी यमुना के तट पर इनकी पूजा की थी. अच्छे पति की कामना से कुंवारी लड़कियां इनका व्रत रखती हैं. 

इनका पूजन मंत्र है : चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा

दुर्गापूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है. कालरात्रि की पूजा करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुल जाते हैं और सभी असुरी शक्तियों का नाश होता है. देवी के नाम से ही पता चलता है कि इनका रूप भयानक है. इनके तीन नेत्र और शरीर का रंग एकदम काला है. इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाते हैं. 

इनका पूजन मंत्र है : एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा

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मां दुर्गा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी आयु आठ साल की मानी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है. कहते हैं कि शिव को पति रूप में पाने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी. इस कारण इनका शरीर काला पड़ गया. लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर कांतिमय बना दिया. तब से मां महागौरी कहलाईं. इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. 

इनका पूजन मंत्र है : श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥

नवरात्रि के नौंवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा

नवरात्रि पूजन के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वालों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है. भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री की कृपा से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं. इनकी कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वह अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए. इनकी साधना से सभी मनोकामनाएं की पूरी हो जाती हैं. 

इनका पूजन मंत्र है : या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:।।

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