देशभर में आज धनतेरस के साथ दीवाली के पांच दिनों के महापर्व की शुरुआत हो गई है. हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. धनतेरस पर सोना-चांदी,आभूषण और बर्तन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है. हालांकि इस साल धनतेरस के त्योहार को लेकर लोगों को बड़ा कन्फ्यूजन है. कुछ लोग आज धनतेरस मना रहे हैं तो कई लोग कल धरतेरस मनाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने लोगों की शंकाएं दूर कर बताया है कि इस बार धन त्रयोदशी कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी शनिवार को शाम 4 बजकर 13 मिनट पर लग रही है और 23 अक्टूबर रविवार को शाम 4 बजकर 45 मिनट तक रहेगी.
आज ही करें धनतेरस की पूजा
इस साल त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल बन रहा है. धनतेरस पर लक्ष्मी मां और कुबेर की पूजा त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में की जाती है इसलिए धनतेरस की पूजा आज ही करनी चाहिए. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम शाम 07 बजकर 01 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. आपके पास धनतरेस की पूजा के लिए एक घंटे 15 मिनट का समय रहेगा. शुभ मुहूर्त में धनतेरस की पूजा करने मात्र से धन लक्ष्मी पूरे वर्ष हमारे घर में निवास कर सुख समृद्धि प्रदान करती हैं और कष्टों का निवारण करती हैं.
कब करें धनतेरस की खरीदारी
पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई चीजों में तेरह गुना वृद्धि होती है. धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, भगवान कुबेर के साथ माता लक्ष्मी की पूजा होती है. इस दिन घरों में दीए जलाएं जाते हैं. धनतेरस पर खरीदारी आप आज और कल दोनों ही दिन कर सकते हैं. लेकिन त्रयोदशी तिथि का ध्यान रखते हुए शनिवार को शाम 4 बजकर 13 मिनट के बाद और 23 अक्टूबर रविवार को शाम 4 बजकर 45 मिनट से पहले का मुहु्र्त अच्छा है. लेकिन वाहन या लोहे का सामान रविवार को ही खरीदें क्योंकि शनिवार के दिन लोहे की चीजें खरीदना शुभ नहीं माना जाता है.
ऐसें करे धनतेरस की पूजा
धनतेरस के दिन प्रातः काल सूर्योदय के पहले स्नान कर लें. धनतेरस का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. ऐसा भी कहा गया है कि प्रदोष काल में धनतेरस के दिन भेंट की हुई सामग्री से अकाल मृत्यु नहीं होती इसलिए हमें चाहिए कि भगवान का विधि विधान से पूजन करें. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद गंगाजल छिड़कर सबकुछ शुद्ध कर लें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें. भगवान के सामने खुशबू वाली धूप और देसी घी का दीपक जलाएं. एक कलश भी स्थापित करें. कलश के ऊपर नारियल रखें और उसे पांच प्रकार के पत्तों से शोभायमान करें. आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वैलरी खरीदी है, उसे भी चौकी पर रखें. विधि विधान से पूजन की शुरुआत करें. देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं.
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