Bhaum Pradosh Vrat 2025: आज भौम प्रदोष का बेहद शुभ अवसर है. माना जाता है कि यह दिन भगवान शिव और संकटमोचक हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है. इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जीवन में चल रही कठिनाइयां कम होती हैं. सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भाग्य के द्वार खुलते हैं. हर महीने प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. लेकिन जब यह तिथि मंगलवार को आती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है जिसका प्रभाव कई गुना अधिक माना जाता है.
भौम प्रदोष व्रत 2025 पूजा का मुहूर्त (Bhaum Pradosh Vrat 2025 Puja Muhurat)
पहला मुहूर्त रहेगा गोधूलि मुहूर्त जिसकी शुरुआत आज शाम 5 बजकर 57 मिनट से होगी और समापन शाम 6 बजकर 23 मिनट तक होगा. दूसरा मुहूर्त है सायाह्न संध्या का, जो कि शाम 6 बजे से लेकर शाम 7 बजकर 17 मिनट तक. इन मुहूर्तों में होगा शाम को भगवान शिव का पूजन.
भौम प्रदोष का विशेष महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Siginficance)
भौम शब्द मंगल के लिए प्रयोग होता है और प्रदोष त्रयोदशी तिथि को दर्शाता है. इसलिए, मंगलवार की त्रयोदशी को भौम प्रदोष कहा जाता है. इस दिन शिव और हनुमान जी दोनों की आराधना की जाती है. यह माना जाता है कि शिवजी पिछले कर्मों के दोष मिटाते हैं, वहीं हनुमान जी शत्रुओं, भय और कर्ज से मुक्ति दिलाते हैं. इस व्रत को करने से आत्मबल बढ़ता है और मन को शांति मिलती है.
ऐसे करें भौम प्रदोष व्रत पर पूजन (Bhaum Pradosh Vrat Pujan Vidhi)
भौम प्रदोष पर व्रत रखने के बाद संध्या के समय पूजा करने का विशेष विधान है. सूर्य ढलने के आसपास स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें. फिर, पूजन स्थल पर भगवान शिव की स्थापना करें और दीप, धूप, पुष्प तथा भोग अर्पित करें. इसके बाद श्रद्धा से 'ओम नमः शिवाय' या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. पूजा के पश्चात अपनी मनोकामनाएं प्रभु को समर्पित करें और दूसरों की सहायता करने का संकल्प लें. यदि संभव हो तो इस काल में हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें, इससे मानसिक शक्ति, साहस और सुरक्षा प्राप्त होती है.
भौम प्रदोष व्रत को सफल बनाने के लिए कुछ नियमों का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. दिन भर फलाहार या जलाहार पर रहें, अनाज न खाएं.
2. पूजा में भगवान शिव के साथ माता पार्वती का आह्वान करना न भूलें.
3. शिव पूजा में केतकी और केवड़े का प्रयोग वर्जित माना गया है.
4. यदि पूर्ण व्रत संभव न हो तो भोजन केवल सात्त्विक और संयमित रखें.
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